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UP Election 2022: हस्तिनापुर सीट का चुनावी समीकरण, जिस दल का विधायक, उसी की बनी सरकार

हस्तिनापुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। इसी सीट के बारे में कहा जाता है कि यहाँ की जनता ने जिस भी दल को जिताया उसी दल की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी। यही वजह है कि सभी सियासी दल इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं।

Jan 23, 2022 / 06:27 pm

Vivek Srivastava

UP Election 2022: हस्तिनापुर सीट का चुनावी समीकरण

UP Election 2022: हस्तिनापुर सीट का चुनावी समीकरण

UP Election 2022: मेरठ जिले की हस्तिनापुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। इसी सीट के बारे में कहा जाता है कि यहाँ की जनता ने जिस भी दल को जिताया उसी दल की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी। यही वजह है कि सभी सियासी दल इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। इस सीट की एक और खासियत है वो यह कि 1977 के बाद से लेकर पिछले विधानसभा चुनावों तक कोई भी प्रत्याशी दोबारा जीत हासिल नहीं कर सका। अब देखना ये है कि क्या 2022 के चुनावों में ये मिथक टूट सकेगा या नहीं। पिछले विधानसभा चुनाव में यहाँ बीजेपी प्रत्याशी दिनेश खटीक ने जीत दर्ज की थी। पार्टी ने इस बार भी उन्हें ही अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने अर्चना गौतम को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
अर्चना गौतम बॉलीवुड अभिनेत्री हैं और उनके इस सीट से प्रत्याशी बनने से यहां की सियासत में ग्लैमर का तड़का लग गया है। वहीं सपा और आरएलडी गठबंधन ने 2018 की हिंसा के आरोपी योगेश वर्मा को टिकट दिया है। वर्तमान में योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा मेरठ की मेयर भी हैं।
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हस्तिनापुर के प्रमुख मुद्दे और समस्याएँ

1. बाढ़ की समस्या

हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या यहां के खादर इलाके में हर वर्ष बाढ़ अपना तांडव मचाती है। जिसके चलते लाखों हेक्टेयर फसल हर साल यहाँ बर्बाद हो जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हस्तिनापुर में बाढ़ का संकट दूर करना है तो बूढ़ी गंगा के मार्ग पुनर्जीवित करना होगा।
2. द्रौपदी का श्राप और विकास का आभाव

हस्तिनापुर ऐसा इलाका है जो आज भी विकास से वंचित है। यहाँ के लोगों का कहना है कि द्रौपदी के श्राप के चलते ये इलाका कभी विकास नहीं कर सका। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण किया था तो द्रौपदी ने श्राप दिया था कि जिस जगह नारी का सम्मान नहीं होता वो धरती विकास नहीं कर सकती। शायद द्रौपदी के इस श्राप में आज भी उतना ही असर है इस वजह से यहाँ का विकास नहीं हो सका।
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