हैदरगढ़ सीट (Haidergarh Assembly seat) वीआईपी सीट भी रह चुकी है, जब 2001 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह ने उप चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। दरअसल वर्तमान केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश सीएम बने थे, तो वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसे में उन्हें छह माह के भीतर किसी न किसी सदन का सदस्य बनना था। तभी हैदरगढ़ (Haidergarh Assembly seat) से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र नाथ अवस्थी ने राजनाथ सिंह के लिए सीट खाली करते हुए त्यागपत्र दे दिया। उप चुनाव में राजनाथ सिंह निर्वाचित हुए। 2002 में पुन: यहीं से विधायक चुने गए। कांग्रेसी विधायक के त्यागपत्र देने के पीछे भी कई तरह की कहानियां कही गईं लेकिन वक्त के साथ ही सब ओझल हो गईं। हालांकि बाद में सुरेंन्द्र नाथ अवस्थी ने कई आरोप लगाकर भाजपा छोड़ दी थी।
वर्ष 2022 में क्या होंगे समीकरण
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर मुख्य लड़ाई भाजपा और सपा के बीच ही होने वाली है। इसमें भाजपा के वर्तमान विधायक बैजनाथ रावत पूर्व में सांसद व कई बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में उनका दावा मजबूत है जबकि भाजपा को टक्कर देने वाले सपा के राम मगन रावत भी अपने दमखम पर क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनके पिता राम सागर रावत बाराबंकी के कई बार सांसद -विधायक रह चुके हैं। कई संभावित उम्मीदवार भी क्षेत्र में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं लेकिन असली तस्वीर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद ही साफ हो पाएगी।
सरकारी योजनाओं में बिचौलिए गड़बड़ी कर रहे हैं। ऐसे में पात्र व्यक्तियों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिनके नाम राशन कार्ड में गलत लिखे हुए हैं। पूर्वाचल एक्सप्रेस वे बनने से सुबेहा रजहा पटरी से आवागमन बंद है। लोग इसकी शिकायत जिला अधिकारी से भी कर चुके हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति भी ठीक नहीं है। महंगाई से खेती-किसानी प्रभावित हो रही है। खाद,बीज की भी समस्या बनी हुई है लेकिन Uttar Pradesh Assembly Election 2022 के वोट की राजनीति के बीच भला इन समस्याओं पर चर्चा करने की किसे फुर्सत है।