scriptUttar Pradesh Assembly Election 2022 : बिसवां में बिछ रही चुनावी बिसात, सपा की आपसी लड़ाई में जीती थी भाजपा | UP Election 2022 Biswan Vidhan Sabha prestigious seat for BJP and SP | Patrika News
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Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बिसवां में बिछ रही चुनावी बिसात, सपा की आपसी लड़ाई में जीती थी भाजपा

भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) के स्थापना काल से ही सीतापुर और आसपास क्षेत्रों में संगठन का काम शुरू हो गया था। जनसंघ की ताकत का ही परिणाम रहा कि भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार गया प्रसाद मेहरोत्रा ने विधानसभा के 1962 व 1967 के चुनाव में यहां से जीत दर्ज की थी। बीच में कांग्रेस जीती और फिर जनसंघ से 1974 व जनता पार्टी से 1977 में गया प्रसाद मेहरोत्रा ने जीत दर्ज की थी। फिर चार चुनाव तक यह सीट कांग्रेस के पास रही।

Jan 06, 2022 / 05:31 pm

Shiv Singh

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बिसवां में बिछ रही चुनावी बिसात, सपा की आपसी लड़ाई में जीती थी भाजपा

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बिसवां में बिछ रही चुनावी बिसात, सपा की आपसी लड़ाई में जीती थी भाजपा

सीतापुर ( पत्रिका न्यूज नेटवर्क). पिछले विधानसभा चुनाव में बिसवां विधानसभा क्षेत्र (Biswan Assembly constituency) में भाजपा ने मोदी लहर में कब्जा जमाकर विरोधियों को चौंका दिया था। हालांकि जीत का एक कारण सपा की आपसी खींचतान भी थी। भाजपा के महेंद्र सिंह ने 81907 वोट हासिल कर सपा के प्रत्याशी अफजल कौसर को हराया था। अफजल को 71672 वोट मिले थे जबकि बसपा के निर्मल वर्मा 65040 वोटों से संतोष करना पड़ा था।
बिसवां विधानसभा (Biswan Assembly constituency) इसलिए भी चर्चित है, क्योंकि यहां से 2012 में सपा से विधायक निर्वाचित हुए राम पाल यादव पार्टी की अंदरुनी राजनीति में ही फंस गए। तत्कालीन अखिलेश सरकार ने उनके खिलाफ हर स्तर पर कार्यवाही की। पुलिस प्रताडऩा के शिकार हुए। इसमें इसमें सीतापुर में होटल और लखनऊ के जियामऊ स्थित आवास का ध्वस्तीकरण भी शामिल है। समर्थकों संग यादव के जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2016 में रामपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया था। वैसे कई दलों से होते हुए पूर्व विधायक राम पाल यादव वर्तमान में भाजपा के गुणगान कर रहे हैं।
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राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सपा ने वर्ष 2017 के चुनाव में अफजल कौसर को उम्मीदवार बनाया लेकिन कौसर भाजपा से हार गए। सपा की सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। हालांकि इस सीट से वर्ष 2007 में बसपा के निर्मल वर्मा और वर्ष 1996 में भाजपा के अजीत कुमार मेहरोत्रा भी जीत चुके हैं। राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो बिसवां सीट (Biswan Assembly constituency) पर पिछले दो-ढाई दशक से भाजपा-सपा और बसपा में ही संघर्ष होता रहा है, जबकि कांग्रेस का प्रत्याशी दमखम नहीं दिखा पाता है।
2022 के चुनाव के लिए हो रहा संपर्क
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई हैं लेकिन राजनीतिक दलों और उनके संभावित प्रत्याशियों ने जोर-शोर से क्षेत्र में प्रचार करना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी किसी भी प्रमुख दल ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है लेकिन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के बहाने नेता लोगों से मिलना-जुलना कर रहे हैं। भाजपा जहां जन विश्वास यात्राओं के सहारे चुनावी माहौल बना रही है, वहीं सपा भी अखिलेश यादव की यात्राओं के जरिए गांव-गांव पहुंचने की कोशिश में है। चुनाव पंडित बताते हैं कि सपा की कोशिश Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में इस सीट को वापस लेने की है जबकि भाजपा Biswan Assembly seat हर हाल में बनाए रखने में जुटी हुई है।
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ये हैं क्षेत्र के मुख्य मुद्दे
बिसवां (Biswan Assembly constituency) में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य का है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। हालांकि पार्टियां विकास के दावे बहुत करती हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर में बदलाव नजर नहीं आ रहा है। किसानों के लिए जहां खाद-पानी की समस्या है तो वहीं युवाओं के लिए रोजगार की समस्या है। लखनऊ से नजदीक होने के कारण बड़ी संख्या में युवा पढऩे व रोजगार के लिए राजधानी के लिए रुख करते हैं।

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