बिसवां विधानसभा (Biswan Assembly constituency) इसलिए भी चर्चित है, क्योंकि यहां से 2012 में सपा से विधायक निर्वाचित हुए राम पाल यादव पार्टी की अंदरुनी राजनीति में ही फंस गए। तत्कालीन अखिलेश सरकार ने उनके खिलाफ हर स्तर पर कार्यवाही की। पुलिस प्रताडऩा के शिकार हुए। इसमें इसमें सीतापुर में होटल और लखनऊ के जियामऊ स्थित आवास का ध्वस्तीकरण भी शामिल है। समर्थकों संग यादव के जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2016 में रामपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया था। वैसे कई दलों से होते हुए पूर्व विधायक राम पाल यादव वर्तमान में भाजपा के गुणगान कर रहे हैं।
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : जैदपुर में जीत कर भी उपचुनाव हार गई भाजपा, अब मोदी-योगी का सहारा राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सपा ने वर्ष 2017 के चुनाव में अफजल कौसर को उम्मीदवार बनाया लेकिन कौसर भाजपा से हार गए। सपा की सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। हालांकि इस सीट से वर्ष 2007 में बसपा के निर्मल वर्मा और वर्ष 1996 में भाजपा के अजीत कुमार मेहरोत्रा भी जीत चुके हैं। राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो बिसवां सीट (Biswan Assembly constituency) पर पिछले दो-ढाई दशक से भाजपा-सपा और बसपा में ही संघर्ष होता रहा है, जबकि कांग्रेस का प्रत्याशी दमखम नहीं दिखा पाता है।
2022 के चुनाव के लिए हो रहा संपर्क Uttar Pradesh Assembly Election 2022 की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई हैं लेकिन राजनीतिक दलों और उनके संभावित प्रत्याशियों ने जोर-शोर से क्षेत्र में प्रचार करना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी किसी भी प्रमुख दल ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है लेकिन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के बहाने नेता लोगों से मिलना-जुलना कर रहे हैं। भाजपा जहां जन विश्वास यात्राओं के सहारे चुनावी माहौल बना रही है, वहीं सपा भी अखिलेश यादव की यात्राओं के जरिए गांव-गांव पहुंचने की कोशिश में है। चुनाव पंडित बताते हैं कि सपा की कोशिश Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में इस सीट को वापस लेने की है जबकि भाजपा Biswan Assembly seat हर हाल में बनाए रखने में जुटी हुई है।
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : महमूदाबाद में दिग्गजों को हराकर जीतती आ रही सपा, कौन देगा चुनौती ये हैं क्षेत्र के मुख्य मुद्देबिसवां (Biswan Assembly constituency) में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य का है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। हालांकि पार्टियां विकास के दावे बहुत करती हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर में बदलाव नजर नहीं आ रहा है। किसानों के लिए जहां खाद-पानी की समस्या है तो वहीं युवाओं के लिए रोजगार की समस्या है। लखनऊ से नजदीक होने के कारण बड़ी संख्या में युवा पढऩे व रोजगार के लिए राजधानी के लिए रुख करते हैं।