बागपत हॉट सीट के पांच प्रमुख समीकरण – किसान आंदोलन भाजपा के लिए खड़ी कर सकता है मुसीबत। – जयंत चौधरी के सामने राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती – रालोद का गढ़ अब खाप का असर।
दो गुर्जर, एक मुस्लिम और एक जाट के बीच राेमांचक मुकाबला हॉट सीट मानी जा रही इस सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। भाजपा ने 2017 में विजय पताका फहराने वाले योगेश धामा पर एक बार फिर दांव आजमाया है। जबकि रालोद ने पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले नवाब अहमद हमीद पर भरोसा जताया है। हालांकि हमीद 2017 में बसपा प्रत्याशी थे। वहीं कांग्रेस ने अनिल देव त्यागी तो बसपा गुर्जर नेता अरुण कसाना को प्रत्याशी बनाया है। इस तरह रालोद का गढ़ कही जाने वाली बागपत सीट पर दो गुर्जर, एक मुस्लिम और एक जाट के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
2017 में भाजपा ने तोड़ा था जाट-मुस्लिम समीकरण जाट-मुुस्लिम समीकरण का ही नतीजा था कि बागपत सीट पर नवाब कोकब हमीद पांच बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि नवाब शहाब सिर छह बार जीत का सेहरा बंध चुका है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के योगेश धामा मोदी लहर के चलते इस समीकरण को तोड़ने में कामयाब रहे थे। जबकि बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े नवाब कोकब हमीद दूसरे स्थान पर रहे थे।
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UP Election 2022: 2017 के मुकाबले 2022 में करीब दोगुनी हुईं संवेदनशील सीटों की संख्या, सबसे अधिक प्रयागराज में किसान आंदोलन से जगी रालोद की आस बता दें कि बागपत सीट पर सवा तीन लाख से अधिक मतदाताओं में जाट और मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटरों की संख्या भी अच्छी है। माना जा रहा है कि इस बार किसान आंदोलन के चलते रालोद में नई जान पड़ गई है। रालोद इस बार जाट-मुस्लिम गठजोड़ और किसान आंदोलन के सहारे फिर से सीट पर काबिज होने की लिए पूरी ताकत झोंके हुए है।
भाजपा प्रत्याशी योगेश धामा की अच्छी पकड़ दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़े निवर्तमान विधायक योगेश धामा की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। यही वजह है कि भाजपा ने उन पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। योगेश धामा विधायक बनने से पहले 10 साल जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं। जबकि पत्नी रेणु धामा भी राजनीति में सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि वह एक बार फिर जाट-मुस्लिम समीकरण को तोड़ने में कामयाब हो सकते हैं।
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Lucknow 9 Assembly seats Highlights: राजधानी में भाजपा का वर्चस्व, अपने गढ़ को बचाने की चुनौती, जानें क्या है समीकरण टिकैत बंधु कर सकते हैं चुनाव को प्रभावित किसान आंदोलन के अगवा राकेश टिकैत और नरेश टिकैत लगातार भाजपा के खिलाफ चुनावी माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा रालोद-सपा प्रत्याशी हमीद को होगा। हालांकि इस बार अभी तक खाप खुलकर किसी दल के समर्थन में नहीं आई हैं। अगर आगामी समय में खाप किसी के पक्ष में उतरे तो चुनावी समीकरण पर असर पड़ना तय है।
कांग्रेस ने जाट तो बसपा ने गुर्जर पर खेला दांव बागपत सीट पर कांग्रेस ने जाट प्रत्याशी अनिल देव त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुर्जर नेता अरुण कसाना को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। अनिल देव त्यागी जहां जाट वोट बैंक में सेंधमारी करने के प्रयास में जुटे हैं तो वहीं अरुण कसाना दोनों दलों की घेराबंदी करने के प्रयास में हैं।