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UP Election 2022 : पांच कारणों से फिर चर्चा में कैराना, अमित शाह पलायन को दे गए हवा

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर से 2017 का मुद्दा जिंदा हो उठा है। अमित शाह (Amit Shah) डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार के तहत सबसे पहले कैराना के पीड़ित परिवारों का दुख दर्द को साझा किया। इस तरह एक बार फिर गृहमंत्री अमित शाह कैराना से पलायन (Kairana Exodus) कर चुके उन व्यापारियों से बात कर रहे हैं, जब अर्से बाद फिर से कैराना (Kairana Assembly) लौटे हैं।

Jan 22, 2022 / 05:33 pm

lokesh verma

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर से 2017 का मुद्दा जिंदा हो उठा है। पलायन का मुद्दा उठाकर भाजपा (BJP) नेता हुकुम सिंह कैराना को देश भर में चर्चा में ला दिया था। अब एक बार फिर गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) कैराना से पलायन (Kairana Exodus) कर चुके उन व्यापारियों से बात कर रहे हैं, जब अर्से बाद फिर से कैराना लौटे हैं। इसके अलावा पांच अन्य कारण भी हैं, जिसकी वजह से एक बार फिर कैराना (Kairana Assembly) चर्चा में है।
कैराना के फिर से चर्चा में आने के प्रमुख पांच कारण हैं

– सपा-रालोद प्रत्याशी नाहिद हसन का दागी होना।

– नामांकन के बाद नाहिद हसन की गिरफ्तारी।

– नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद भाजपा-सपा में वाक युद्ध।
– नाहिद हसन की बहन का लंदन से आकर चुनाव प्रचार करना।

– भाजपा का फिर से हिंदू पलायन के मुद्दे को तूल देना।

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मृगांका और नाहिद हसन आमने-सामने

वेस्ट यूपी की कैराना सीट 2017 की तरह एक बार फिर सुर्खियों में है। भाजपा यहां पलायन के मुद्दे को हवा देकर चुनावी माहौल बनाने की कोशिश में है। आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पहला दौरा कैराना में रखा गया। कैराना से भाजपा ने बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया है। उधर, सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी नाहिद हसन के जेल जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन प्रचार की कमान अपने हाथ में ले ली है। इकरा हसन ने भी निर्दलीय पर्चा भरा है। यानी 2017 की तरह ही कैराना भाजपा और सपा के बीच महासंग्राम का साक्षी बनने जा रहा है।
कहा गया-मुसलमानों कसम खाओ…

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहा है कि पश्चिमी यूपी के जाट और मुसलमानों कसम खाओ कि चुनाव में किसान, रोजगार, महंगाई और विकास के मुद्दे पर वोट दोगे। तुम्हे अपने मुद्दों से भटकना नही है। दिल्ली वालों को करारा जवाब देना है।
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व्यापारियों का दुख-दर्द जानने की कोशिश

अमित शाह डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार के तहत सबसे पहले पीड़ित परिवारों का दुख दर्द को साझा किया। इसके बाद उन्होंने बागपत और शामली के भाजपा पदाधिकारियों संग बैठक की। बता दें कि इसके पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार की शुरुआत मथुरा से करने वाले थे।
2017 में ध्रुवीकरण में कामयाब हुई थी भाजपा

2017 के चुनाव में कैराना से हिंदुओं का पलायन सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था। उस दौरान दिवंगत सांसद हुकुम सिंह ने इस मुद्दे को देश भर में जोर-शोर से उठाया था। बाबू हुकुम सिंह ने आरोप लगाए थे कि मुसलमानों के बढ़ते आतंक के कारण बड़ी संख्या में कैराना के हिंदू परिवार अपने घर बेचने कर पलायन कर चुके हैं तो कुछ पलायन को मजबूर थे। हुकुम सिंह ने इसकी सूची जारी की थी। इसके बाद भाजपा वोटों का ध्रुवीकरण करने में कामयाब हुई थी।
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फिर वही प्रत्याशी चुनाव मैदान में

2017 की तरह एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह और सपा प्रत्याशी नाहिद हसन कैराना से आमने-सामने हैं। मृगांका सिंह 2017 की हार का बदला लेने के लिए जी जान से चुनाव प्रचार में जुटी है। वहीं, नाहिद हसन के जेल जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने चुनाव-प्रचार की जिम्मेदारी संभाल ली है।
…लेकिन इस बार राह आसान नहीं

भाजपा के लिए कैराना में हिंदू पलायन के मुद्दे को हवा देकर इस बार चुनाव जीतना आसान नहीं है। इस सीट पर मुस्लिमों की आबादी हिन्दुओं के मुकाबले चार गुना से भी अधिक है। 2017 के चुनाव में पलायन का मुद्दा गरमाने के बाद भी पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को करीब दस फीसदी वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। नाहिद हसन को 98830 मत मिले थे। जबकि मृगांका सिंह को 77668 मत ही प्राप्त हो सके थे।

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