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UP Assembly Elections 2022: 50 साल से कम उम्र के ‘सेनापति’ लड़ेंगे देश की सबसे बड़ी चुनावी जंग

UP Assembly Elections 2022- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटे कई राजनीतिक दलों के भविष्य का दारोमदार इस बार 50 वर्ष कम उम्र के ‘युवाओं’ पर है

Aug 14, 2021 / 07:06 pm

Hariom Dwivedi

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लखनऊ. UP Assembly Elections 2022- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटे कई राजनीतिक दलों के भविष्य का दारोमदार इस बार 50 वर्ष कम उम्र के ‘युवाओं’ पर है। सत्तारूढ़ दल भाजपा 49 साल के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज के सहारे सत्ता में वापसी की दम भर रही है। वहीं, आगामी चुनाव में अभी तक प्रमुख विपक्षी दल माने जाने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी 48 वर्ष के हैं। यूपी में कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने की कवायद में जुटीं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की उम्र 50 के आंकड़े से एक वर्ष कम है। उधर, किसान आंदोलन के जरिये पश्चिमी यूपी में जमीन तलाश रहे राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी अभी 42 वर्ष के हैं। इसके अलावा पहली बार राजनीतिक दल बनाकर चुनाव मैदान में उतरने वाले आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर 34 वर्ष के हैं।
योगी के काम पर जीत का दावा
2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज के सहारे ही बीजेपी सत्ता में लौटने का सपना देख रही है। लखनऊ में हुई बैठकों में केंद्रीय पदाधिकारी कह चुके हैं कि योगी के नेतृत्व में ही यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के कई नेता खुले मंच से योगी सरकार की उपलब्धियों का गुणगान कर चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अकेले दम पर 403 में से 312 सीटें जीती थीं। पार्टी नेताओं का दावा है कि इस बार पहले भी शानदार जीत दर्ज की जाएगी।
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अखिलेश के सामने ‘पहाड़’ सी चुनौती
यूपी चुनाव अखिलेश यादव का बड़ा इम्तिहान लेने को तैयार हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। यूपी चुनाव में पार्टी को करारी हार मिली। कहा गया कि पारिवारिक विवाद के कारण उन्हें संगठन को दुरुस्त करने का मौका नहीं मिल सका। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को निराशा हाथ लगी। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव परिणाम से उनके नेतृत्व और रणनीतिक कुशलता का भी आंकलन होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 47 सीटें जीत सकी थी, जबकि 2012 में सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार थी।
प्रियंका गांधी के सामने कांग्रेस को खड़ा करने का चैलेंज
करीब तीन दशक से कांग्रेस पार्टी यूपी की सत्ता से दूर है। प्रिंयका गांधी यूपी की प्रभारी हैं और वह लगातार सक्रिय हैं। 2022 में यूपी में बड़ी जीत की जिम्मेदारी भी उनके ही कंधों पर है। लेकिन, यूपी में कांग्रेस पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाना इतना आसान नहीं है। उनका दावा है कि इस बार जिलों में भी संगठन मजबूत हुआ है और पार्टी जोरदार प्रदर्शन करेगी। 2017 की बात करें तो उस चुनाव में सपा से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस पार्टी महज 7 सीटें ही जीत सकी थी। इनमें से भी दो विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।
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जयंत चौधरी को नई पारी से उम्मीदें
जयंत चौधरी राष्ट्रीय दल के मुखिया हैं। हाल ही में चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद उन्हें उन्हें रालोद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जयंत चौधरी लगातार सक्रिय हैं। उनका दावा है कि पश्चिमी यूपी में वह बीजेपी को करारी शिकस्त देने में कामयाब होंगे। समाजवादी पार्टी के गठबंधन कायम है। 2022 के विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी का प्रदर्शन उनका और रालोद दोनों का भविष्य तय करेगा। 2017 में रालोद को सिर्फ एक सीट मिली थी।
बड़े दलों की चुनौती बनेंगे चंद्रशेखर?
भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने ‘आजाद समाज पार्टी’ नाम से नया दल गठित कर लिया है। यूपी में पहली बार उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। दलित नेता चंद्रशेखर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। चर्चा है कि वह समाजवादी पार्टी व रालोद संग गठबंधन कर सकते हैं। उनके सामने खुद को साबित करने की चुनौती होगी।

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