जेल से दावेदारी ठोकेंगे विजय मिश्रा आगरा सेंट्रल जेल में बंद बाहुबली विजय मिश्रा भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगे। नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए बेटी रीमा सहित परिवार के अन्य सदस्य सक्रिय हैं। विजय मिश्रा ने नामांकन के लिए कोर्ट ने अनुमति दे दी है। विजय मिश्र हाई सिक्योरिटी जेल से अपने वर्चस्व को कायम रखने का प्रयास करेंगे।
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मुख्तार ने बेटे को उतारा मैदान में बाहुबली और माफिया मुख्तार अंसारी ने एकाएक चुनाव न लडऩे का फैसला लेते हुए मऊ सदर की अपनी परंपरागत सीट अपने बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी है। अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं। मुख्तार अंसारी साल 2005 से ही जेल में बंद है। जदयू से दम ठोंकेगे धनंजय अजीत सिंह हत्याकांड की साजिश में आरोपी बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह पुलिस की नजरों में फरार हैं। लेकिन चुनाव लडऩे की उनकी पूरी तैयारी है। एसटीएफ ने भी जांच रिपोर्ट में धनंजय सिंह के खिलाफ गैर जमानती धाराओं को हटा दिया है। अब धनंजय सिंह जदयू के टिकट से जौनपुर की मल्हनी विधानसभा में उतरने जा रहे हैं। धनंजय सिंह ने चुनाव लडऩे के लिए सेशन कोर्ट में समर्पण की याचिका दायर कर दी है।
सलाखों के पीछे से चुनावी जंग सीतापुर की जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां जेल से ही रामपुर का चुनाव लड़ा। इसके पहले हरिशंकर तिवारी ने 1985 में जेल की सलाखों के पीछे रहकर जीत दर्ज की थी। पूर्वांचल के ही एक अन्य बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही, जेल में रहकर बाहुबली दुर्गा यादव और राजबहादुर सिंह भी चुनाव जीतने में सफल हुए थे। माफिया मुख्तार अंसारी ने भी गाजीपुर जेल में रहकर 1996 का विधानसभा चुनाव लड़ा और मऊ से विधायक बनकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। अपराधियों को शरण देने के आरोप में जेल गए कल्पनाथ राय ने भी 1996 के चुनाव में ताल ठोंकी थी। माफिया बृजेश सिंह जेल में निरुद्ध रहते हुए ही एमएलसी बने थे। पूर्व में बाहुबली डीपी यादव ने भी जेल में रहकर चुनाव लड़ा था। माफिया अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकी थी और सलाखों के पीछे से ही फूलपुर उपचुनाव में किस्मत आजमाई थी।
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