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UP Assembly Elections 2022: बाहुबलियों की रणभूमि बनेगा पूर्वांचल, विजय मिश्र, धनंजय सिंह भी मैदान में, मुख्तार असांरी ने बेटे को सौंपी विरासत

यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार पूर्वांचल एक बार बाहुबलियों का सियासी रण देखेगा। जहाँ एक तरफ जेल में बंद विजय मिश्र जेल से ही चुनावी समर में मौजूद हैं तो दूसरी तरफ बाहुबली धनंजय भी मैदान में आ चुके हैं। वहीं मुख्तार असांरी ने अपनी सियासी विरासत भले ही अपने बड़े बेटे को सौंप दी है, लेकिन चुनावी दंगल में धमक उन्हीं की ही रहेगी।

Feb 15, 2022 / 06:09 pm

Vivek Srivastava

UP Assembly Elections 2022: बाहुबलियों की रणभूमि बनेगा पूर्वांचल

UP Assembly Elections 2022: लखनऊ. …लग रहा था, इस बार यूपी का चुनाव बाहुबलियों और अपराधियों से मुक्त होगा। लेकिन ऐसा हो न सका। छठे और सातवें चरण के लिए मतदान में एक बार भी माफिया और बाहुबली मैदान में हैं। जेल में बंद विजय मिश्रा और धनंजय सिंह तो चुनाव लड़ ही रहे हैं। माफिया मुख्तार अंसारी ने भी अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इससे पूर्वांचल की जमीन पर वर्चस्व की जंग देखने को मिलेगी।
जेल से दावेदारी ठोकेंगे विजय मिश्रा

आगरा सेंट्रल जेल में बंद बाहुबली विजय मिश्रा भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगे। नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए बेटी रीमा सहित परिवार के अन्य सदस्य सक्रिय हैं। विजय मिश्रा ने नामांकन के लिए कोर्ट ने अनुमति दे दी है। विजय मिश्र हाई सिक्योरिटी जेल से अपने वर्चस्व को कायम रखने का प्रयास करेंगे।
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मुख्तार ने बेटे को उतारा मैदान में

बाहुबली और माफिया मुख्तार अंसारी ने एकाएक चुनाव न लडऩे का फैसला लेते हुए मऊ सदर की अपनी परंपरागत सीट अपने बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी है। अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं। मुख्तार अंसारी साल 2005 से ही जेल में बंद है।
जदयू से दम ठोंकेगे धनंजय

अजीत सिंह हत्याकांड की साजिश में आरोपी बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह पुलिस की नजरों में फरार हैं। लेकिन चुनाव लडऩे की उनकी पूरी तैयारी है। एसटीएफ ने भी जांच रिपोर्ट में धनंजय सिंह के खिलाफ गैर जमानती धाराओं को हटा दिया है। अब धनंजय सिंह जदयू के टिकट से जौनपुर की मल्हनी विधानसभा में उतरने जा रहे हैं। धनंजय सिंह ने चुनाव लडऩे के लिए सेशन कोर्ट में समर्पण की याचिका दायर कर दी है।
सलाखों के पीछे से चुनावी जंग

सीतापुर की जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां जेल से ही रामपुर का चुनाव लड़ा। इसके पहले हरिशंकर तिवारी ने 1985 में जेल की सलाखों के पीछे रहकर जीत दर्ज की थी। पूर्वांचल के ही एक अन्य बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही, जेल में रहकर बाहुबली दुर्गा यादव और राजबहादुर सिंह भी चुनाव जीतने में सफल हुए थे। माफिया मुख्तार अंसारी ने भी गाजीपुर जेल में रहकर 1996 का विधानसभा चुनाव लड़ा और मऊ से विधायक बनकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। अपराधियों को शरण देने के आरोप में जेल गए कल्पनाथ राय ने भी 1996 के चुनाव में ताल ठोंकी थी। माफिया बृजेश सिंह जेल में निरुद्ध रहते हुए ही एमएलसी बने थे। पूर्व में बाहुबली डीपी यादव ने भी जेल में रहकर चुनाव लड़ा था। माफिया अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकी थी और सलाखों के पीछे से ही फूलपुर उपचुनाव में किस्मत आजमाई थी।
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यह भी रहे हैं बाहुबली

रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह, सुलतानपुर के चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह भी चुनाव जीतते रहे हैं। बहुचर्चित माखी कांड में आरोपित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट सजा सुना चुकी है। ऐसे ही सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी सजायाफ्ता हो चुके हैं। लेकिन गायत्री की पत्नी चुनाव मैदान में हैं। गुजरात की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम से प्रयागराज से चुनाव लडऩे की तैयारी में थीं लेकिन अंतिम समय में इरादा बदल दिया।

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