यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मथुरा आगरा और अलीगढ 11 जिले शामिल हैं। कुछ ऐसी वीआईपी नेता हैं, जिन पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम जनता की भी निगाह रहेगी। हरेंद्र मलिक, कादिर राना, श्रीकांत शर्मा, लक्ष्मीकांत वाजपेई, शाहिद अखलाक ये वो पांच नाम हैं, जिनके हारने व जीतने के म्याने हैं।
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हरेंद्र मलिक – लोकदल से अपना राजनैतिक जीवन शुरू कर खतौली विधानसभा सीट से वर्ष 1885 में पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1989, 1991 व 1993 में बघरा सीट से विधायक रहे। 1996 में सपा ज्वाइन की। 2002 में इनेलो में शामिल होकर उसके कोटे से राज्यसभा पहुंच गए। 2004 में कांग्रेस में शामिल हो गए। और अब फिर सपा में आ गए। कादिर राना – कादिर राना ने राजनीति ककहरा समाजवादी पार्टी में आकर सीखा। 1998 में विधान परिषद सदस्य चुने गए। 2004 सपा छोड़, रालोद के टिकट पर 2007 में मोरना से विधानसभा का चुनाव जीता।। 2009 में बसपा के टिकट पर सांसद बन गए। और अब 17 साल बाद सपा में वापसी किया।
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श्रीकांत शर्मा – एबीवीपी से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले श्रीकांत शर्मा आज यूपी में बिजली मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 1993, साल 2012 में यूपी, गुजरात, साल 2014 में हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव में अपने मीडिया प्रबंधन से अमित शाह दिल जीत लिया। साल 2017 में मथुरा विधानसभा सीट चुनाव लड़े और जीत गए। लक्ष्मीकांत वाजपेई – 14 साल की उम्र से जनसंघ से जुड़े। दिसंबर 2012 में भाजपा यूपी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई। लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने 71 सीटें हासिल की। चार बार मेरठ शहर सीट से विधायक चुने गए। अब भाजपा की ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
शाहिद अखलाक – बसपा के टिकट पर वर्ष 2000 में मेरठ के महापौर फिर 2004 में सांसद का चुनाव जीतने वाले शाहिद अखलाक का मुस्लिम राजनीति में जलवा 2007 तक बरकरार रहा। 2009 के लोस चुनाव में बसपा से टिकट काट गया। सेक्यूलर एकता पार्टी बनाई। कामयाब नहीं हुए, लौट के बुद्धु घर को आए।