मुस्लिम प्रतिनिधित्व घटता-बढ़ता रहा उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व लगातार घटता बढ़ता रहा है। चुनाव 1951-52 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 9.5 फीसद यानि 41 मुस्लिम विधायक जीते थे। चुनाव 1957 में 37 मुस्लिम विधायक जीते। और यह प्रतिशत घट कर 8.6 रह गया। विधानसभा चुनाव 1962 में 30 विधायकों की जीत के साथ ग्राफ महज 7 प्रतिशत रह गया। साल 1967 में चौथे विधानसभा में 23 मुस्लिम विधायकों की जीत के साथ उनका प्रतिशत 5.9 पर सिमट गया था। चुनाव 1969 में 29 मुस्लिम विधायकों की जीत के साथ ये बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो गया पर 1974 के चुनाव में 25 विधायकों की जीत से ये फिर गिर कर 5.9 प्रतिशत पर पहुंच गया।
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पश्चिम यूपी में हैं कई कद्दावर मुस्लिम नेता पश्चिम यूपी में कई कद्दावर मुस्लिम नेता हैं। मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद कादिर राणा बसपा छोड़ अब सपा में शामिल हो गए हैं। पूर्व विधायक नूर सलीम राणा ने बसपा को अलविदा कहकर आरएलडी का दामन थाम लिया। मीरापुर से बसपा विधायक रहे मौलाना जमील अहमद कासमी भी आरएलडी में जा चुके हैं। पूर्व विधायक नवाजिश आलम और पूर्व सांसद अमीर आलम बसपा छोड़कर आरएलडी में शामिल हो गए हैं। शहनवाज राणा पहले ही बसपा छोड़कर आरएलडी में शामिल हो गए हैं। बिजनौर में पूर्व विधायक शेख सुलेमान बसपा से सपा में शामिल हो चुके हैं। दो बार के विधायक रहे शेख मोहम्मद गाजी बसपा से चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी में शामिल हो चुके हैं। हापुड़ जिले से विधायक असलम चौधरी ने भी बसपा छोड़ सपा में शामिल हो गए। गाजियाबाद के लोनी से पूर्व विधायक जाकिर अली भी बसपा से सपा में शामिल हो गए हैं। बसपा के बागी विधायक असलम राईनी और मुजतबा सिद्दीकी सपा में शामिल हो गए हैं। मुख्तार अंसारी के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबातुल्ला अंसारी भी बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं। बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके शाहिद सिद्दीकी भी पार्टी छोड़कर आरएलडी में शामिल हो गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर तीन मुस्लिम सासंद जीते हैं, जिनमें सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान और अमरोहा से कुंवर दानिश अली जबकि गाजीपुर से अफजाल अंसारी है। यह भी पढ़ें
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विधानसभा में मुस्लिम विधायक साल – विधायकों की संख्या2017 23
2012 64
2007 56
2002 64
1996 38
1993 28 मुस्लिमों की बात करने वाली पार्टियां ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी यूपी में मुस्लिम राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त उलेमा काउंसिल, मुस्लिम लीग, मुस्लिम मजलिस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, इंडियन नेशनल लीग, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया, परचम पार्टी और मुस्लिम सियासी बेदारी फोरम भी मुस्लिम हित चिंतक होने का दावा करती रही हैं। पूर्वी यूपी में पीस पार्टी के मोहम्मद कयूम भी कभी बड़ा वर्चस्व रखते थे।