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UP Assembly Elections 2022: सातवां चरण, पिंडरा विधानसभा क्षेत्र जहां पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी को मिलती रही है तवज्जो

UP Assembly Elections 2022: वाराणसी जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में एक सीट है पिंडरा जो जौनपुर जिले के मछली शहर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। पिंडरा विधानसभा क्षेत्र 2012 के परिसीमन के बाद वजूद में आया। हालांकि 1952 में इस सीट का नाम वाराणसी पश्चिम था जो 1957 में कोलअसला हो गया, फिर 2012 में पिंडरा हो गया। विधानसभा क्षेत्र का अतीत गवाह है कि यहां के मतदाता पार्टी पर प्रत्याशी को तरजीह देते रहे हैं, तभी तो CPI के ऊदल नौ बार तो अजय राय पांच बार विजयी हुए।

Jan 26, 2022 / 08:24 pm

Ajay Chaturvedi

अजय राय

अजय राय

वाराणसी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए यूं तो वाराणसी में सातवें व अंतिम चरण में मतदान होना है लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में वाराणसी के पिंडरा विधानसभा सीट से अजय राय पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारने की अधिकृत घोषणा कर दी है। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी नें अमर सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। अन्य किसी दूसरे दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। वैसे अगर भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो यह सीट उसके पास है और डॉ अवधेश सिंह विधायक हैं।
दो बार बदल चुका विधानसभा क्षेत्र का नाम
आजादी के बाद 1952 में जब पहला विधानसभा चुनाव हुआ था, तब इस सीट का नाम वाराणसी पश्चिम रहा। हालांकि पांच साल बाद 1957 के इसका नाम बदल कर कोलअसला कर दिया गया जो 2012 के परिसीमन तक कायम रहा। 2012 में हुए परिसीमन में एक नया नाम मिला पिंडरा, जो इस विकास खंड का नाम है। परिसीमन के बाद 2012 में हुए चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अजय राय ने फतह हासिल की।
सीपीआई के ऊदल नौ बार जीते चुनाव तो अजय राय पांच बार

वैसे जब इस विधानसभा क्षेत्र का नाम कोलअसला था तब सीपीआई के उदल ने एक-दो नहीं बल्कि नौ बार जीत हासिल की। विधानसभा क्षेत्र में लाल सलाम के नारे को पहली बार 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अजय राय ने बदला और क्षेत्र में भगवा लहराया। फिर ये सीट अजय राय के अभेद्य किले के रूप में तब्दील हो गई और 1996, 2002 और 2007 में अजय राय कोलअसला सीट से लगातार भाजपा के टिकट पर जीतते रहे। 2012 के चुनाव में जब ये सीट पिंडरा हो गई तब भी अजय राय ने इस सीट से विधानसभा चुनाव में जीत का चौका लगाया। लेकिन इस बार यहां लहराया पंजा निशान वाला तिरंगा। इस बीच 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद कोलअसला में हुए उपचुनाव में अजय राय ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में शानदार जीत दर्ज की। लेकिन 2017 में अजय राय के करिश्मे पर मोदी लहर भारी पड़ी और भाजपा प्रत्याशी डॉ अवधेश सिंह ने जीत हासिल कर ली।
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अजय राय ने तीन बार लड़ा लोकसभा चुनाव
इस बीच 2009, 2014 और 2019 में अजय राय, लोकसभा का चुनाव भी लड़े। पहले 2009 में सपा के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लेकिन तब के चुनाव में डॉ जोशी के खिलाफ बाहुबली मोख्तार अंसारी भी मैदान में रहे। ऐसे में अजय राय को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। फिर 2014 में राय, कांग्रेस के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के समक्ष चुनौती पेश करने मैदान में आए लेकिन उस बार आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी वाराणसी से नरेंद्र मोदी को चुनौती देने आए। नतीजा मोदी और केजरीवाल के बीच संघर्ष हुआ और राय को फिर तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। 2019 में अजय राय एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिाफ कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव के रूप में महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा और शालिनी दूसरे स्थान पर रहीं जबकि अजय राय को एक बार फिर तीसरा स्थान मिला।
कांग्रेस का अजय राय पर भरोसा कायम
अब 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने पिंडरा विधानसभा सीट से एक बार फिर से अजय राय पर भरोसा जताया है। अभी तक कांग्रेस ही है जिसने सातवें चरण में होने वाले मतदान के लिए दो सीटों (पिंडरा और रोहनिया) के प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर से अजय राय पर भरोसा जताने के बाद से राजनीतिक पंडितों की निगाह गड़ गई है। वजह साफ है, ये अजय राय ही हैं जिन्होंने न केवल पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार फिर बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े, बल्कि 2014 के चुनाव को लेकर पीएम मोदी के खिलाफ हाईकोर्ट तक गए। लेकिन ये भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को नागवार गुजरा। नतीजतन काशी में ही गंगा में गणेश प्रतिमा विसर्जन को चल रहे आंदोलन में अजय राय ने लीड लेने की कोशिश की। इतना ही नहीं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वानंद के अन्याय प्रतिकार यात्रा को खुल कर समर्थन दिया। उसके बाद तत्कालीन सपा सरकार ने विधायक अजय राय पर रासुका लगाया दिया। वो लंबे समय तक कारावास में रहे। अजय राय की इस शख्सियत के चलते ही कांग्रेस लगातार उन पर अपना पूर्ण विश्वास जताती आ रही है।
पराजय के बाद भी विधानसभा क्षेत्र की जनता से रहा लगातार संपर्क
कांग्रेस के टिकट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से ताल ठोंकने को तौयार अजय राय की खास बात ये है कि वो क्षेत्र के लोगों को हमेशा याद रखते हैं। यहां तक कि 2017 में मिली हार के बाद भी उनका क्षेत्रीय जनता से संपर्क और संवाद का सिलसिला जारी रहा। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कोरोना महामारी के संकट काल में भी अजय राय ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों का खयाल रखा। ऑक्सीजन से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तक का इंतजाम कराया। लॉकडाउन में क्षेत्र में खुद भले न जा सके हों पर फोन पर लगातार संपर्क में रहे।
क्षेत्रीय जनता, भाजपा विधायक के नाम पर साध लेती है चुप्पी
ऐसे में राय समर्थकों का दावा है कि बीजेपी के मौजूदा विधायक अवधेश सिंह के प्रति क्षेत्र में नाराजगी है। उनका कहना है कि वो पांच साल में कभी नजर ही नहीं आए। जहां तक क्षेत्रीय जनता का सवाल है तो वो भाजपा को तो पूरी तरह से नहीं नकारते पर विधायक का नाम लेते ही चुप्पी साध लेते हैं। ऐसे में राजनीतिक पंडितों का आंकलन है कि 2017 के बीजेपी और मोदी की लहर जैसी स्थिति तो नहीं है। ऐसे में भाजपा को इस सीट पर पिछली बार से कहीं ज्यादा मेहनत करनी होगी।
2017 का परिणाम
2017 में पिंडरा से बीजेपी के अवधेश सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीएसपी के बाबूलाल को करीब 37 हजार के बड़े अंतर से हराया था। सिंह को 90614 वोट तो बाबूलाल को 53765 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के अजय राय 48189 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। अवधेश सिंह इससे पहले कांग्रेस और बीएसपी से भी चुनाव लड़ चुके हैं पर दोनों ही बार अजय राय की जीत हुई थी।
2012 का परिणाम
2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने बीएसपी के जयप्रकाश को शिकस्त दी थी।

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