जेठ सपा सुप्रीमो बहू भाजपा की कार्यकर्ता सबसे ताजा उदाहरण तो समाजवादी पुरोधा और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह के परिवार में ही देखने को मिला है। मुलायम के बड़े बेटे अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। तो उनके दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने भाजपा को ज्वाइन कर लिया है। अब बहूरानी अपर्णा यादव सपा के खिलाफ जमकर प्रचार कर रहीं है। कमल को जिताईए और साइकिल को पंचर कीजिए। अखिलेश यादव की चचेरी बहन संध्या यादव ने भी भगवा चोला ओढ़ लिया है।
पिता सपा के साथ बेटी भाजपा के संग एक और नाम जो अभी सुर्खियों में है। नाम है स्वामी प्रसाद मौर्य। एक जमाने में बसपा के सबसे बड़े सिपहसलार थे। पर सत्ता उनका नशा है। मायावती से बात खराब हुई और चुनाव 2017 में भाजपा में शामिल हो गए। जीतकर मंत्री बने। चुनाव 2022 के ऐलान के साथ ही भाजपा का साथ छोड़कर सपा में शामिल हो गए। पर उनकी बेटी अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य भाजपा सांसद हैं। दोनों ही घोर विरोधी पार्टियां हैं। मतलब छत एक है और नारे अलग अलग हैं।
बेटा हाथी पर पिता साइकिल पर सवार यूपी के एक जिले अंबेडकरनगर की राजनीति में राकेश पांडेय परिवार का लंबे समय से दखल रहा है। राकेश पांडेय बसपा के वरिष्ठ नेता थे। 2009 में राकेश पांडेय बसपा से सांसद चुने गए। साल 2019 में राकेश ने अपने बेटे रितेश पांडेय को बसपा से टिकट दिलवा। अभी रितेश यहां से सांसद हैं। माहौल को देखते हुए राकेश पांडेय ने साइकिल के साथ हो गए हैं। मतलब बेटा रितेश पांडेय हाथी के साथ और पिता राकेश पांडेय सपा के साथ।
मां-बेटी की राहें जुदां-जुदां अपना दल स्व. सोनेलाल पटेल की बेहद जानी पहचानी पार्टी है। पूर्वांचल में यह पार्टी किंग मेकर की तरह है। सोनेलाल पटेल की मौत के बाद पार्टी के दो फाड़ हो गए। अपना दल (सोनेलाल) व अपना दल (कमेरावादी)। अपना दल (सोनेलाल) की हेड हो गईं अनुप्रिया पटेल और दूसरे दल की प्रमुख कृष्णा पटेल और पल्लवी पटेल हो गईं। अनुप्रिया पटेल इस वक्त भाजपा की हमराह हैं। और कृष्णा पटेल की पार्टी समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने में लगी हैं।