भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 13 सीटों पर सहयोगी दलों के प्रत्याशी जीते थे। इनमें 09 सीटें अनुप्रिया पटेल की अगुआई वाली अपना दल ने और 04 सीटें भाजपा से अलग ताल ठोंक रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जीती थीं। भाजपा इस बार भी 300 प्लस विधानसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है। खासकर पार्टी का फोकस उन 78 सीटों पर है, 2017 में लहर के बावजूद जहां बीजेपी जीत नहीं सकी है। इनमें से करीब 60 सीटें ऐसी हैं, जिन पर आज तक कमल नहीं खिल सका है।
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जीत की रणनीति
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, 2017 में जिन 78 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, इस बार पार्टी का लक्ष्य उनमें से कम से कम 60 सीटें जीतना है। इन अभेद्य सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने नई रणनीति तैयार की है। इसके लिए हर सीट पर अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किये गये हैं। साथ ही पार्टी सांसदों, एमएलसी, निगम, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों को इन सीटों पर फतेह की जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी प्रवक्ता राकेशधर त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी के लिए हर सीट महत्वपूर्ण है। नई रणनीति से हम पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ने में सक्षम होंगे। क्योंकि प्रदेश की जनता सरकार के काम और जनहितकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रही है।
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इन सीटों पर कभी नहीं जीती बीजेपी
अकबरपुर (अंबेडकरनगर), निजामाबाद (आजमगढ़), सिधौली सीट (सीतापुर), हरचंदपुर (रायबरेली), मोहनलालगंज (लखनऊ), रायबरेली सदर (रायबरेली), सीसामऊ (कानपुर), आजमगढ़ सदर (आजमगढ़), रामपुर खास (प्रतापगढ़), जसवंतनगर (इटावा), ऊंचाहार (रायबरेली), मल्हनी (जौनपुर), अतरौलिया (आजमगढ़), मुबारकपुर (आजमगढ़), गोपालपुर (आजमगढ़) और मल्हनी (जौनपुर) सहित करीब 50 ऐसी सीटें हैं, जहां जीत दर्ज करने करना बीजेपी का सपना है।