पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections 2021) में पुरुलिया जिले की भगौलिक स्थिति देखें तो यह तीन तरफ से झारखंड से मिलता है, जबकि एक तरफ से पश्चिम बंगाल का बांकुड़ा जिला है। झारखंड से जो भी हिस्सा लग रहा है, वह क्षेत्र स्टील और एल्युमीनियम इंडस्ट्री के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
जमशेदपुर, बोकारो और मूरी के पड़ोस में होने के बाद भी पुरुलिया में कोई बड़ा उद्योग नहीं है। इसी का असर है, पलायन। यहां के युवा रोजगार के लिए देशभर में भटकते हैं। चुनाव का एक मुद्दा यह भी है। कभी यह जिला भयावह जलसंकट से जूझता था। फिर देवेंद्र महतो कांग्रेस से सांसद बने और पानी के लिए बहुत काम किया। इसी पानी ने यहां कांग्रेस को जड़े दोबारा जमाने का मौका दिया और कई सीटों पर आज भी बढ़त है। देवेंद्र के बेटे नेपाल महतो लगातार चार बार से बागमुंड़ी विधानसभा से विधायक हैं।
इस बार यहां से भाजपा ने गठबंधन धर्म निभाते पड़ोसी राज्य झारखंड के स्थानीय दल आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) को यह सीट दे दी है। दरअसल जाति समीकरण के अनुसार महतो वोटर अधिक हैं, इस वजह से आशुतोष महतो को आजसू ने उतारा है। तृणमूल से युवा सभापति सुशांता महतो टक्कर दे रहे हैं। हालांकि यहां मुकाबला कांग्रेस और आजसू के बीच ही है। राज्य और केंद्र में अपनी सरकार नहीं होने के बाद भी विकास कार्य करवाने में सफल रहने पर नेपाल को कुछ फायदा मिल सकता हैै। वहीं अमित शाह की सभा के बाद बागमुंडी विधानसभा में भाजपा-आजसू गठबंधन चमत्कार की उम्मीद कर रहा है।
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तृणमूल ने निर्दलीय को दिया समर्थनजॉयपुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी उज्ज्वल कुमार का नामांकन खारिज हो गया है। यहां कांग्रेस के फणीभूषण कुम्हार और भाजपा के नरहरि महतो के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा था। लेकिन अचानक 23 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निर्दलीय प्रत्याशी दिव्यज्योति सिंह को समर्थन देने की घोषणा कर दी। अब निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थक तृणमूल का झंडा लेकर घूमते नजर आ रहे हैं। इसे लेकर जॉयपुर की सियासत पर नजर रखने वाले शक्तिपद महतो का कहना है कि तृणमूल का वोट अब बंटेगा। पहले यह सिर्फ कांग्रेस को मिलता। फॉरवर्ड ब्लॉक छोड़कर भाजपा में आए नरहरि महतो सांसद रह चुके हैं।
चुनाव में प्रमुख मुद्दा रोजगार लेफ्ट से गठबंधन के बाद भी कांग्रेस को यह सीट जीत के आश्वासन पर मिला है। तृणमूल के 50 फीसदी वोट को भी कांग्रेस अपने पाले में लाने सफल हो गई तो परिणाम पक्ष में आ सकता है। बालिभाषा के अरबिंद गिरि बताते हैं कि चुनाव में प्रमुख मुद्दा रोजगार है। तृणमूल के काम की बात करें तो कृषि बाजार, सड़क, इंजीनियरिंग कॉलेज समेत फेहरिस्त में कुछ उपलब्धियां हैं।
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पुरुलिया में त्रिकोणीय लड़ाईपुरुलिया का मुकाबला रोचक है। यहां भाजपा के प्रत्याशी सुदीप बनर्जी फिलहाल कांग्रेस की टिकट पर विधायक हैं। पार्टी बदलने से छवि पर जो असर पड़ा था, उसे प्रधानमंत्री नरेेद्र मोदी की सभा ने दुरुस्त कर दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह सभा ले चुके हैं। हाल ही में भाजपा ज्वाइन करने वाले मिथुन चक्रवर्ती भी यहां सक्रिय हैं। कांग्रेस से पार्थो प्रतिम बनर्जी मैदान में हैं। टीएमसी से जिला पंचायत अध्यक्ष सुजय बनर्जी यहां के वोटर नहीं हैं। भाजपा और कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है। त्रिकोणीय मुकाबले में टीएमसी को तीसरे नंबर पर बताया जा रहा है।
9 सीटों में 4-3-2 का फॉर्मूला
पुरुलिया जिले में पहले चरण में 27 को मतदान होना है। इसमें तीन सीटों पर बांधवान, बलरामपुर और कांसीपुर में टीएससी थोड़ी मजबूत दिख रही है। मानबाजार, रघाुनाथपुर, पुरुलिया और पाड़ा में भाजपा की स्थिति अच्छी है। वहीं बागमुंडी और जॉयपुर में कांग्रेस बढ़त बना सकती है।
पुरुलिया जिले में पहले चरण में 27 को मतदान होना है। इसमें तीन सीटों पर बांधवान, बलरामपुर और कांसीपुर में टीएससी थोड़ी मजबूत दिख रही है। मानबाजार, रघाुनाथपुर, पुरुलिया और पाड़ा में भाजपा की स्थिति अच्छी है। वहीं बागमुंडी और जॉयपुर में कांग्रेस बढ़त बना सकती है।