1. परिवारवाद: इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने केसीआर की पार्टी पर जमकर हमला बोला और लोगों ने इस पर भरोसा जताया।
2. भ्रष्टाचार: कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को लेकर कांग्रेस ने केसीआर पर 80,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। बता दें कि जब अक्टूबर में लक्ष्मी बैराज में दरार आई और बहुत सारे इलाके डूबे गए और कांग्रेस ने चुनावों से ठीक पहले इसे बड़ा मुद्दा बना दिया, जिसका तेलंगाना के जनमानस पर बड़ा असर पड़ा।
3. बेरोजगारी: युवाओं से जुड़े मुद्दे को कांग्रेस ने अपने कैम्पेन में खूब उठाया। साथ में यह भी वादा किया कि जब हमारी सरकार यहां बनेगी तो युवाओं को नौकरी दी जाएगी तथा प्रतियोगी परीक्षा में हो रही धांधली पर लगाम लगाया जाएगा।
4. कांग्रेस की छह गारंटी: कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के तर्ज पर कांग्रेस ने यहां भी चुनावी योजनाओं का ऐलान किया। इन योजनाओं में रायतु बंधु योजना के तहत किसानों और बंटाईदारों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ देना और खेतिहर मजदूरों को 12000 रुपये देने, महिलाओं के लिए मुफ्त बस पास, हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देना, 500 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर देने का वादा कारगर साबित हुआ। इसके अलावा शहीदों के परिजनों को 25000 रुपये की मासिक पेंशन का ऐलान भी कांग्रेस की जीत के लिए बड़ा फैक्टर साबित हुआ।
5. राहुल, प्रियंका और खरगे ने राज्य में जाति गणना कराने और पिछड़े और दलित वर्ग की आरक्षण सीमा में बढ़ोत्तरी करने का मुद्दा उठाया। इसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया ।
6. मुस्लिम आबादी का भरोसा जीता : तेलंगाना में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास मुस्लिम वोटरों का समर्थन है। यहां करीब 13 फीसदी मुस्लिम आबादी है। 119 विधानसभा सीटों में से 46 सीटों पर मुस्लिम मतदाता जीत-हार तय करते हैं। लेकिन कांग्रेस ने अपने हर कैम्पेन में एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम बताया जिस कारण उनकी पार्टी वोट कांग्रेस के पास ट्रान्सफर हो गया। बता दें कि हैदराबाद की 10 सीटों में से 7 सीटों पर तो एआईएमआईएम का जबरदस्त प्रभाव रहा है। फिर भी यहां ओवैसी की पार्टी महज तीन सीटों पर सिमटती दिख रही है।
7. आक्रामक चुनावी अभियान: कर्नाटक और हिमाचल के तर्ज पर कांग्रेस ने पूरे राज्य में व्यापक और आक्रामक चुनाव अभियान चलाया। जिस परियोजना को लेकर केसीआर पर एक लाख करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया वहां राहुल गांधी ने हवाई सर्वे किया। दूसरी तरफ, तेलंगाना चीफ रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना आंदोलन के शहीदों को किए गए प्रदेश के सीएम केसीआर के वादों की याद दिला और शानदार तरीके से लोगों में इस बात को पहुंचाया।
8. सोशल मीडिया पर केसीआर सरकार के खिलाफ जमकर बोला हमला: कर्नाटक चुनाव जीत में रणनीति बनाने वाले सुनील कनुगोलू ने इस चुनाव में भी सोशल मीडिया का उपयोग किया। केसीआर के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप को नए ढंग से प्रसारित किया। उनके नेतृत्व में भी कांग्रेस ने ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन मोड में भी आक्रामक प्रचार किया और सत्ता-विरोधी लहर और कारकों का लाभ उठाया। उन्हीं के कहने पर बीआरएस के खिलाफ कई वीडियो, मीम्स, जीआईएफ और पोस्टरों से धारदार हमले किए जिस वजह से बीआरएस के खिलाफ जोरदार लहर बन सकी।
9. बीआरएस को तेलंगाना का दुश्मन बताते हुआ कांग्रेस ने अपने कैम्पेन में कहा कि ये कभी ऑफिस नहीं जाते। घर से सरकार चलाते हैं। लोगों से इनका नाता टूट चुका है और इनमें दूरदर्शिता की कमी है।
10. तेलंगाना आंदोलन के सेनानियों को धोखा देने का मुद्दा: केसीआर ने कई बार ये तो कहा कि हम तेलंगाना आंदोलन के सेनानियों को पूरा सम्मान देंगे। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। इसको मुद्दा बनाते हुए दूसरी तरफ कांग्रेस ने आंदोलन के सेनानियों को मुफ्त जमीन देने, हर परिवार को 25 हजार रुपए मासिक पेंशन देने और उनके खिलाफ केस वापस लेने का भा वादा किया है।