विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटों (Brahmin Voters in UP) की अहमियत और सरकार से उनकी नाराजगी को भांपते हुए अखिलेश यादव भगवान परशुराम की सबसे ऊंची 108 फीट की प्रतिमा (Parshuram Statue) लगवाने का ऐलान किया था। अब चुनाव के पहले मूर्तियां लगाई जाएंगी। सिर्फ यही नहीं सपा अलग-अलग जिलों में परशुराम मंदिर, मठ और मूर्तियां स्थापित करवा रही है। ये मूर्तियां लंभुआ से सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडेय की ‘चिरंजीवी भगवान परशुराम चेतना पीठ’ ये मूर्ति लगवा रही है। मेरठ के हस्तनिापुर, गाजयिाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, आगरा, श्रावस्ती, प्रयागराज और जौनपुर में 11 से 31 फीट तक की मूर्ति लग चुकी हैं।
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लखनऊ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पास प्रदेश में सबसे ऊंची 108 फीट की प्रतिमा अक्टूबर तक बन जाएगी। सपा अलग-अलग जिलों में भगवान परशुराम का मंदिर (Parshuram Temple) भी बनवा रही है। वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गोरखपुर, महाराजगंज, गोंडा, प्रतापगढ़ में मूर्तियों के लिये जमीन चिन्हित कर ली गई है। गाजियाबाद के वसुंधरा और साहिबाबाद में परशुराम चौक भी बनाए गए हैं। मुख्य तौर पर लखनऊ में सबसे बड़ी मूर्ति अक्टूबर के अंत तक लगेगी। लोक भवन में अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति बनाने वाले प्रसिद्घ मूर्तिकार राजकुमार पंडित (Rajkumar Pandit) जयपुर में परशुराम की कांसे की मूर्ति तैयार करने में जुटे हैं। जाएगी। इसका अनावरण ब्राह्मणों के एक भव्य कार्यक्रम के साथ होगा। महामंडलेश्वर बुलाए जाएंगे। पश्चिम बंगाल की मूुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) भी इस आयोजन का हिस्सा बन सकती हैं।
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योगी सरकार के सांस्कृतिक विभाग के तहत आने वाले राज्य ललित कला अकादमी (Lalit Kala Academy) प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में 51 फीट की प्रभु श्रीराम और निषादराज की गले मिलती प्रतिमा (Sri Ram Nishad Raj Statue in Prayagraj) लगवाने जा रही है। इसका टेंडर जारी हो चुका है। इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिये कार्यदायी संस्था को आदेश से 110 दिन का समय दिया गया है। यह मूर्ति एक किलोमीटर दूर से दिखेगी। मूर्ति बनाने में पांच करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने बीते साल नवंबर में दीपोत्सव के दौरान इस मूर्ति को बनाने का ऐलान किया था। ये मूर्ति 5-5 प्रतिशत सीसा, टिन और जस्ता व 88 प्रतिशत तांबा के इस्तेमाल से ढालकर बनाई जाएगी। एक स्टील का ढांचा इसे मजबूती देगा। प्रतिमा 6 से 7 एमएम मोटी होगी।
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मान्यता है कि 14 साल का वनवास काटने जाते समय प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण को निषादराज ने यहीं अपनी नाव में बैठाकर गंगा पार कराई थी। इससे अभिभूत होकर प्रभु श्रीराम ने निषादराज को गले से लगा लिया था। इस जगह के पौराणिक महत्व को देखते हुए इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में यह बड़ा कदम है। हालांकि चुनाव के ठीक पहले बन रही इस प्रतिमा के राजनीतिक निहितार्थ (Political Intrest) भी निकाले जा रहे हैं। इसे निषाद वोटों को साधने की एक कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। इन दिनों निषाद वोट (Nishad Voters in UP), यूपी की राजनीति में काफी अहम हो गए हैं।