1. कांग्रेस का लचर संगठन
कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा लचर संगठन रहा है। पहले के समय में कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रस और यूथ कांग्रेस जैसे संगठन पार्टी लिए अच्छे से काम किया करते थे। इन सभी के जरिए उनका सीधा संपर्क लोगों से रहता था। सरकारी की नीतियां और योजनाएं भी लोगों तक पहुंचती थी। लेकिन बीते कुछ सालों से कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर हो गया है।
2. प्रदेश में अपराध चरम पर
प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है पूरे प्रदेश में अपराधियों को ही बोलबाला हो गया है। बीते कुछ सालों से राजस्थान अपराध में पूरे देश में पहले नंबर पर आ गया है। आज के समय में बच्चियां, महिलाओं अपने घरों और दफ्तर में भी सुरक्षित नहीं है। कांग्रेस की हार का एक यह भी बड़ा कारण माना जाता है।
3. एंटी इंकम्बैंसी
प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जनता में विरोधी लहर चल रही थी। उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के बाद परिजनों को अशोक गहलोत ने सिर्फ़ 5 लाख रुपए दिए थे। वहीं जयपुर में रोडरेज के बाद इकबाल नाम के एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। राजस्थान सरकार ने उसके परिजनों के लिए 50 लाख रुपए की सहायता राशि की घोषणा की। इस बात को लेकर भी लोगों में काफी गुस्सा था।
4. गुटबाजी
राजस्थान कांग्रेस में अंदर बड़ी गुटबाजी देखने को मिली। पांच साल पहले कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों में तकरार देशभर में सुर्खियां बटोरी। पूरे पांच सालों तक कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसे गड़बड़ी को ठीक करने में जुटा रहा।
5. नहीं मिला योजनाओं का लाभ
अशोक गहलोत की सरकार ने किसानों, महिलाओं, मजदूरों आदि के लिए कई प्रकार की योजनाए चलाई। लेकिन इन सभी का लाभ नहीं मिला सकता। क्योंकि कांग्रेस की ये योजनाएं कागजों में तो तैयार हो गई थी, लेकिन जमीन पर इनकाेे ठीक से लागू नहीं किया गया। कांग्रेस की हार का यह भी कारण माना जाता है।
6. चुनाव प्रचार में कमी
कांग्रेस की हार के मुख्य कारणों में चुनाव प्रचार की कमी देखने को मिली। बीजेपी के मुकाबले अशोक गहलोत ने चुनाव प्रचार प्रसार के लिए रणनीति नहीं बनाई। केंद्र सरकार ने प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों पर जोरदार प्रचार किया। कई बड़े दिग्गज नेताओं ने रोड शो और सभाएं की। बीजेपी को इसका काफी फायदा मिला।
7. इंडिया साइनिंग
कांग्रेस की हार में एक इंडिया साइनिंग कारण भी रहा है। अशोक गहलोत ने भी अलट बिहारी बाजपाई की तरह इंडिया साइनिंग का शिकार हो गए। बाजपाई की तर्ज पर अशोक गहलोत ने कई सड़के बनाई। चारो तरफ चमक-धमक नजर आ रही थी। लेकिन इन सभी को जनता ने स्वीकार नहीं किया। क्योंकि जनता को इनका लाभ नहीं मिला।
8. विवादित बयान
कांग्रेस के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए विवादित बयानबाजी की। कई बार सभाओं में भाषा की सीमा को लांघा गई। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान दिया था। वहीं, भाजपा ने इसे अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली।
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9. कांग्रेस की गारंटी खारिज
अशोक गहलोत सरकार ने बीते पांच साल के दौरान जनता की भलाई के लिए कोई खास योजना नहीं लेकर आई। चुनाव पास आते ही कांग्रेस ने गारंटी योजना लॉन्च किया। समय कम होने के कारण यह लागू नहीं हो पाई और जनता को इनका लाभ नहीं मिला। ऐसे में जनता ने कांग्रेस की गारंटी को खरिज कर दिया।
10. पेपर लीक, लाल डायरी और भ्रष्टाचार पड़ा भारी
चुनावी साल में कांग्रेस ने राहत महंगाई कैंप लगाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की नाकाम कोशिश की। अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले चिरंजीवी योजना की लिमिट बढ़ाकर 50 लाख करने का वादा किया। लेकिन पेपर लीक, लाल डायरी और भ्रष्टाचार के आरोप भारी पड़े। युवाओं ने गहलोत की गारंटियों पर भरोसा नहीं करते हुए पीएम मोदी पर भरोसा किया।
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