छह बार निर्दलीय विधायक कुंडा विधानसभा सीट पर राजा भैया छह बार निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। साल 1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत की पताका लहराई। साल 1993 में भाजपा के समर्थन से फिर सपा के समर्थन से चुनाव जीतते आ रहे हैं। चुनाव 2017 राजा भैया 1,36,597 वोटों से जीते थे। और भाजपा के जानकी शरण को हार का मुंह देखना पड़ा।
सपा छेड़ेगी राजा के खिलाफ संग्राम विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सपा ने कुंडा के सियासी संग्राम में उतरने के लिए कमर कस ली है। इस बार सपा राजा भैया को समर्थन नहीं देगी। वजह है कि वर्ष 2019 में राज्यसभा फिर लोकसभा चुनाव में अखिलेश के निवेदन के बावजूद राजा भैया ने बसपा प्रत्याशी को समर्थन नहीं दिया। इस वजह से अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच रिश्ते में खटास आ गई है। अब सपा एक जीताउ उम्मीदवार ढूंढ़ रही है।
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भाजपा से समर्थन नहीं! भाजपा, राजा भैया को समर्थन देगी या नहीं इस पर सस्पेंस बरकरार है। अगर भाजपा राजा भैया को समर्थन देती है, तो पार्टी पर बाहुबलियों को समर्थन देने का आरोप लग सकता है। इस आरोप से बचने के लिए भाजपा शायद ही राजा भैया को समर्थन दे। कुंडा में मतदाताओं का आंकड़ा चुनाव 2017 के आंकड़ों के अनुसार, कुंडा विधानसभा में कुल 3.43 लाख से अधिक मतदाता है, जिसमें 1.94 लाख पुरुष और 1.48 लाख महिला वोटर्स हैं। कुंडा विधानसभा में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है। वहीं ब्राह्मण और दलित वोटर्स का भी यहां पर खासा असर है।
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कुंडा का राजनीतिक इतिहास कुंडा विधानसभा सीट पर चुनाव 1993 से 2017 में बाहुबली राजा भैया का वर्चस्व कायम है। 1991 में भाजपा के शिव नारायण मिश्रा ने कांग्रेस के नियाज हसन को हरा कर जीत दर्ज की थी। नियाज हसन इस सीट से 5 बार विधायक रहे। 1962, 1974, 1980 और 1985, और 1989 में कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। राजा भैया ने बनाई पार्टी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने विधानसभा चुनाव के लिए 11 प्रत्याशियों की सूची जारी की है।