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कुछ ऐसा है पुडुचेरी में एनडीए का गठबंधन
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में इस बार बीजेपी के साथ एनआर कांग्रेस और एआईएडीएमके हैं। सबसे ज्यादा सीट एनआरसी के पास हैं। वो इस बार 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछली बार 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं भाजपा को इस अलायंस में सिर्फ 9 ही सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। पिछली बार 30 सीटों पर चुनाव लड़कर जो हालात पार्ट की हुई थी, उसे कोई हीं भुला पाया है। पांच सीटों पर एआईएडीएमके को मौका दिया गया है। इन्होंने भी 30 ही सीटों पर चुनाव लड़ा था।
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क्यों हुए जमा?
पिछली बार यूपीए का अलायंस बना और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। डीएमके साथ मिलकर सरकार बना ली। बीजेपी, एनआरसी और एआईएडीएमके तीनों अलग-अलग लड़े और कोई फायदा नहीं हुआ। बीजेपी तो खाता भी नहीं खोल पाई। वहीं एनआरसी ने आठ सीटें जीतीं। जबकि पिछली बार एआईडीएमके ने 4 सीटों पर कब्जा किया था। प्रदर्शन के आधार पर उसे सीट ज्यादा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यहां पर बीजेपी ने केंद्र में होने का फायदा उठाया और पिछली बार एक भी सीट हासिल ना करने वाली बीजेपी को 9 सीटों पर चुनाव लडऩे का मौका मिल गया।
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9 सीटों पर भी फायदे में हैं बीजेपी
बीजेपी इस बार भले ही 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही हो, लेकिन फायदे में दिखाई दे रही है। जानकारों की मानें तो बीजेपी ने इस बार पुडुचेरी में अलायंस और सीटों का बंटवारा काफी बेहतर तरीके से किया है। ऐसे में भाजपा के खाते में 9 में से 5 सीटें उसके खाते में जाने की संभावना लग रही है। वैसे प्री पोल सर्वे में बीजेपी को सभी सीटों पर जीत का दावेदार बताया जा रहा है। जो कहना अभी काफी जल्दबाजी होगी। वहीं दूसरी ओर डीएमके ने मोर्चा संभाला हुआ है। कुल 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसलिए बीजेपी और एनआरसी के लिए राह आसान बिल्कुल भी होने वाली नहीं है।
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बीजेपी को अभी खाता खोलना है बाकी
पुडुचेरी विधानसभा चुनाव 2016 में बीजेपी अकेले 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जिसमें उसका खाता भी नहीं खुल सका था। बीजेपी को कुल पड़े आठ से ज्यादा वोटों में से 19303 वोट यानी 2.4 फीसदी की पड़े थे। पार्टी भले ही सीट नहीं चीत सकी थी, लेकिन 1.08 फीसदी का वोट स्विंग एक पॉजिटिव साइन जरूर था। इसी के भरोसे पर पार्टी को लग रहा है कि इस बार उसका पुडुचेरी में खाता जरूर खुल जाएगा।