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UP Election 2022: सियासत की चौसर पर पश्चिमी यूपी को मथ रहे राजनीतिक दलों के दिग्गज

UP Election 2022: कुछ दिन पूर्व कैराना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली वहां पर पलायन का मुददे को एक बार फिर से हवा दी गई। आज मेरठ में टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेताओं का सम्मान और निशाना मिशन 2022 पर। कुछ ऐसे ही सियासी तेवर सपा के भी हैं। आज सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुढ़ाना कस्बे में मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाकर गरजे। कुल मिलाकर सियासत की चौसर पर इस समय पश्चिमी यूपी है और दलों के दिग्गज इसको मथ रहे हैं।

Nov 11, 2021 / 06:19 pm

Nitish Pandey

UP Election 2022: वर्ष 2017 में भाजपा की जीत का परचम पश्चिमी यूपी से ही लहराना शुरू हुआ और यह पूरे सूबे में फैल गया था। जिसका नतीजा अन्य दलों दहाई के अंक तक ही सिमट गए थे। अब फिर से 2022 का चुनावी रण सजकर तैयार हो रहा है और दलों के निशाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाता है। हर दल पश्चिमी के जाट, गुर्जर, दलित और मुस्लिम मतदाताओं को साधने में लगा हुआ है। सपा और रालोद की मजबूती गठबंधन के बल पर टिकी हुई है तो दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा अकेले दम पर ताल ठोक रही है। वहीं कांग्रेस और बसपा भी तैयारी में पीछे नहीं हैं।
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2012 के बाद भाजपा ने किया पश्चिमी में क्लीन स्वीप

साल 2012 के चुनाव में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक माहौल एक दम से बदल गया और उसी कारण साल 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। इसके बाद साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस क्षेत्र से 88 सीटों पर जीत हासिल की है। 2019 में भी इस क्षेत्र में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया।
जाट, दलित और मुस्लिम वोट बैंक है बड़ा फैक्टर

पिछले चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी नंबर दो पर होती तो समीकरण कुछ और होते। इस इलाके में मुसलमान वोट एक बड़ा फ़ैक्टर है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का वोट बैंक यादव-मुसलमान वोट है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यादव के मुक़ाबले दलित ज़्यादा है। 2013 के दंगे के बाद ‘जाट-मुस्लिम’ एकता की बात अब बेमानी है। 2017 और 2019 में उनके बीच की दूरी साफ़ दिखी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमान 32 फ़ीसदी और दलित तकरीबन 18 फ़ीसदी हैं। यहां जाट 12 फ़ीसदी और ओबीसी 30 फ़ीसदी हैं।

दलितों और ओबीसी को लुभाने की कोशिश में सपा

बुढाना में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कश्यप समाज की रैली में दलित और ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश की। उन्होंने जहां प्रदेश की कानून व्यवस्था को निशाने पर लिया वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी तंज कसने से नहीं चूके। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जानते हैं कि अगर प्रदेश में सपा की सरकार बनवानी है तो पश्चिमी उप्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस समय किसान आंदोलन भी अपने चरम पर है। इसका लाभ भी सपा 2022 के चुनाव में उठाना चाहती है।
कमजोर सीटों पर नजर और पश्चिम को दुरूस्त करने की तैयारी

भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव 2022 किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके अलावा पश्चिमी की जिन सीटों पर भाजपा कमजोर रह गई थी उन पर भी पार्टी की नजर है। वेस्ट यूपी में 16 जिलों की 27 विधानसभा सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इन जिलों को अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब खुद मथ रहे हैं। 2017 में जिस-जिस जिले में भाजपा हारी थी। वहां मुख्यमंत्री योगी दौरे कर जनसभा के माध्यम से सरकारी योजनाओं की सौगात बांट रहे हैं।
इसी के साथ वे 2022 में साथ देने पर विकास के वादे भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री इस कड़ी में मेरठ से पहले बदायूं और शाहजहांपुर का दौरा कर चुके हैं। इसके बाद वे कमजोर हो रहे भाजपा के गढ़ कैराना में भी पलायन के मुददे को हवा दे आए हैं। मेरठ की धरती से भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को कड़ा संदेश दिया है।
BY: KP Tripathi

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