यह भी देखें : कई विवादों से जुड़ चुका है पिनाराई विजयन का नाम यह भी देखें : ई. श्रीधरन ने तय किया भारतीय रेलवे से राजनीति तक का सफर दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन में है कांग्रेस
ऐसा नहीं है कि केरल में कभी कांग्रेस ने शासन ही नहीं किया अथवा आज बहुत ही कमजोर स्थिति में है। विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के रुप में कांग्रेस बहुत न सही लेकिन कुछ हद तक सशक्त तो है ही साथ में वह अन्य वामपंथी पार्टियों के साथ मिल कर चुनाव भी लड़ रही है। हाल ही के सर्वों के अनुसार कांग्रेसनीत गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) को ठीक-ठाक सीटें मिलने की भविष्यवाणी भी की जा रही है लेकिन दो मई को नतीजा किसके पक्ष में रहेगा, यह जानने के लिए अभी हमें हवा का रुख समझना होगा और इंतजार करना होगा।
ऐसा नहीं है कि केरल में कभी कांग्रेस ने शासन ही नहीं किया अथवा आज बहुत ही कमजोर स्थिति में है। विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के रुप में कांग्रेस बहुत न सही लेकिन कुछ हद तक सशक्त तो है ही साथ में वह अन्य वामपंथी पार्टियों के साथ मिल कर चुनाव भी लड़ रही है। हाल ही के सर्वों के अनुसार कांग्रेसनीत गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) को ठीक-ठाक सीटें मिलने की भविष्यवाणी भी की जा रही है लेकिन दो मई को नतीजा किसके पक्ष में रहेगा, यह जानने के लिए अभी हमें हवा का रुख समझना होगा और इंतजार करना होगा।
राहुल गांधी के बयान पर भी उठ चुका है विवाद
दक्षिण भारत में अपने बचे-खुचे साम्राज्य को बचाने की शायद इसी कोशिश में राहुल गांधी ने पिछले माह विवादास्पद बयान दिया था जिसका न केवल भाजपा ने विरोध किया वरन कांग्रेस के अंदर भी उसका बहुत विरोध हुआ। उल्लेखनीय है कि उन्होंने कहा था, केरल में आना एक ताजा कर देने वाला अनुभव है। यहां की राजनीति बाकी भारत से बहुत अलग है और मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा।
दक्षिण भारत में अपने बचे-खुचे साम्राज्य को बचाने की शायद इसी कोशिश में राहुल गांधी ने पिछले माह विवादास्पद बयान दिया था जिसका न केवल भाजपा ने विरोध किया वरन कांग्रेस के अंदर भी उसका बहुत विरोध हुआ। उल्लेखनीय है कि उन्होंने कहा था, केरल में आना एक ताजा कर देने वाला अनुभव है। यहां की राजनीति बाकी भारत से बहुत अलग है और मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा।
1982 से आज तक कोई पार्टी वापस नहीं लौटी सरकार में
यहां यह भी देखना जरूरी है कि केरल के लोकतांत्रिक इतिहास में 1982 से आज तक कोई भी पार्टी वापस सत्ता में नहीं लौटी है और यहां पर दो ही गठबंधन हैं जिन्हें कांग्रेसनीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) और सीपीएम के नेतृत्व वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) कहा जाता है। दोनों ही गठबंधन बार-बारी से यहां पर सरकार बनाते आए हैं। वर्तमान में केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है, ऐसे में कांग्रेस को बहुत उम्मीद है कि पिछली परिपाटी को ध्यान रखते हुए इस बार कांग्रेस सत्ता में आ सकती है। लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस बार भाजपा और मुस्लिम लीग दोनों मैदान में हैं और कांग्रेस के हाथ आई बाजी को पलट सकते हैं।
यहां यह भी देखना जरूरी है कि केरल के लोकतांत्रिक इतिहास में 1982 से आज तक कोई भी पार्टी वापस सत्ता में नहीं लौटी है और यहां पर दो ही गठबंधन हैं जिन्हें कांग्रेसनीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) और सीपीएम के नेतृत्व वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) कहा जाता है। दोनों ही गठबंधन बार-बारी से यहां पर सरकार बनाते आए हैं। वर्तमान में केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है, ऐसे में कांग्रेस को बहुत उम्मीद है कि पिछली परिपाटी को ध्यान रखते हुए इस बार कांग्रेस सत्ता में आ सकती है। लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस बार भाजपा और मुस्लिम लीग दोनों मैदान में हैं और कांग्रेस के हाथ आई बाजी को पलट सकते हैं।