2010 में नक्सलियों ने ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को दुर्घटनाग्रस्त किया था, जिसमें 100 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी। इस घटना को याद करते ही झारग्राम का नाम जेहन में आता है। अब तक का सबसे भयावह नक्सली हिंसा। लंबे समय तक कोलकाता-मुंबई इस मेन लाइन पर रात को ट्रेनों का परिचालन बंद रहा।
झारखंड से लगे पश्चिम बंगाल के झारग्राम जिले की पहचान नक्सली ही रह गए थे। शाम होते ही बाजार बंद हो जाते थे, रास्ते सुनसान। जल, जमीन और जंगल की पहचान रखने वाले आदिवासी भी उपेक्षित थे। पश्चिम बंगाल के इस विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की नब्ज टटोलने शाम 6 बजे झारग्राम पहुंचे तो शहर के आउटर में एक चाय की दुकान में बैठे मिले सुखेन हादसा बताने लगे अब रात 11 बजे तक भी बिना भय के आ-जा सकते हैं। हालांकि चुनावी फिजा की रंगत थोड़ी हल्की दिखी। शहर के अंदर इक्का-दुक्का जगह तृणमूल कांग्रेस के झंडे दिखे। यहां तृणमूल से बिरबाहा हांसदा मैदान में हैं जो आदिवासी लोक गायिका हैं।
भाजपा से सुखमय सतपथी टक्कर दे रहे हैं। बिरबाहा की मां चुन्नीबाला हांसदा यहां की पूर्व विधायक हैं जो झारखंड पार्टी की नेता हैं। वे अब भी झारखंड पार्टी में हैं। भाजपा को रोकने के लिए यहांं झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड पार्टी ने तृणमूल को समर्थन दिया है। आदिवासी वर्ग के बीच इन दोनों पार्टियों का जनाधार बहुत ही कम बचा है। चुन्नीबाला बताती हैं कि विकास के कार्य हुए हैं तभी नक्सल समस्या का उन्मूलन हो पाया। यह सीट अभी टीएमसी के पास थी, जहां सुकुमार हांसदा विधायक थे और बाद में डिप्टी स्पीकर भी बने। विकास की राह परिवर्तन के लिए थोड़ी मुश्किल खड़ा कर रही है।
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स्थानीय मुद्दे नहीं, बदलाव की बातझारग्राम जिले की चार सीटों पर प्रथम चरण में मतदान होना है। यह क्षेत्र कृषि प्रधान है। यहां रोजगार के दूसरे साधन नहीं हैं। पानी की उपलब्धता के कारण गर्मी में भी किसान धान की फसल लेते हैं। झारग्राम विधानसभा में भाजपा के प्रचार-प्रसार में तेजी नहीं दिख रही है। शहर में एक जगह एबीवीपी की प्रचार गाड़ी दिखी। मौके पर मिले जिला प्रमुख रंजीत सेन बताने लगे कि तेजी से प्रचार चल रहा है। कई स्तर पर कार्यकर्ता लगे हुए हैं। मुद्दों की बात पर रंजीत का कहना था कि अब परिवर्तन का समय आ गया है। भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी से जनता त्रस्त है। स्थानीय मुद्दों को लेकर कहा जा रहा है आदिवासियों की जमीन बेची जा रही है, जंगल जला कर लकड़ी की तस्करी हो रही है, ऐसे सरकार को बदलने का समय आ गया है। इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या रोजगार है लेकिन इस पर चर्चा कम ही हो रही है।
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एक सीट पर दिख सकता है बदलाव का असरबिनपुर विधानसभा से टीएमसी की ओर से देवनाथ हांसदा मैदान में हैं। वहीं भाजपा से पालहन सोरेन। बिनपुर आरक्षित सीट है। यहां भी बहुत ज्यादा झंडे-बैनर नजर नहीं आ रहे हैं। ज्वेलरी दुकान में मिले सौभिक मंडल से चुनावी चर्चा शुरू की तो कहने लगे, इस पर बात नहीं करनी है। नयाग्राम सीट और गोपीबल्लभपुर में भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिली। नयाग्राम भी आरक्षित सीट है और यहां से तृणमूल की टिकट पर दुलाल मुर्मू खड़े हैं। भाजपा से नकूल मुर्मू चुनौती दे रहे हैं। यहां कांटे की टक्कर है। गोपीबल्लभपुर से टीएमसी से डॉ. सौगत नाथ महतो तो भाजपा से संजीव महतो मैदान में हैं।