सुशील चंद्रा ने कहा कि, वर्ष 2004 से लगातार ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है। वर्ष 2019 में हमने हर मतदान केंद्र पर वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) शुरू किया। उन्हें देखने के बाद ही राजनीतिक दलों के एजेंटों की मौजूदगी में ईवीएम को सील किया जाता है। इसके साथ ही उनके हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
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इसके बाद डीलर ईवीएम को सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखते है। हमारे साइड स्ट्रांग रूम में 24 घंटे निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
राजनीतिक दलों के एजेंट भी स्ट्रांग रूम पर नजर रखते हैं, इसलिए ईवीएम से किसी तरह की छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने ये भी कहा कि, ईवीएम को स्ट्रांग रूम से भी बाहर नहीं निकाला जा सकता है।