लिटमस टेस्ट मानी जा रही रैली
बता दें की राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन के बाद हुई यह पहली रैली दोनों दलों का लिटमस टेस्ट मानी जा रही थी। जिसमें दोनों ही दल अव्वल नंबर से पास होते दिखे। दबथुवा गांव के बाहर नेशनल हाइवे पर स्थित मैदान में हुई इस रैली में दो लाख से ज्यादा लोगों ने शिरकत की। रैली को लेकर युवाओं में भी जबरदस्त उत्साह रहा। आलम ये रहा कि सड़क के दोनों और कई कई किलोमीटर तक वाहनों की कतारें लगी थी। इसके चलते हाइवे जाम हो गया। पुलिस ने बड़ी मशक्कत कर एक तरफ का हाइवे खुलवाकर किसी तरह ट्रैफिक को सुचारू किया।
रैली को लेकर कई दिनों से शीर्ष नेताओं ने डाला था मेरठ में डेरा
रैली को लेकर बीते कई दिनों से दोनों ही दलों के शीर्ष नेता मेरठ में ही डेरा डाले हुए थे। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल जहां दो दिनों से मेरठ ही रैली की रूपरेखा तैयार कर रहे थे वहीं रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डा मसूद अहमद भी रैली की सफलता को लेकर लगातार पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ मंथन में जुटे थे। इसका ही नतीजा था कि मंगवालर को अखिलेश और जयंत चौधरी के पहुंचने से पहले ही मैदान खचाखच भर गया था। रैली में वेस्ट यूपी के लगभग सभी जिलों से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने शिरकत की। वहीं टिकट के दावेदारों ने भी चेहरा दिखाने की कवायद में जमकर जोर आजमाइश की। रैली में जबरदस्त भीड़ को देख पार्टी नेताओं के चेहरे भी खिले नजर आए।
रालोद सुप्रीमो चौधरी जयंत सिंह तो यहां तक कह बैठे कि मैने अपने जीवन में इतना जनसैलाब नहीं देखा। वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यह कहकर लोगों का उत्साह बढ़ाया कि ये मेरठ की धरती है क्रांति की धरती है यहां हमेशा ही ऐसी क्रांति होती रही। यहां के लोगों का कोई मुकाबला नहीं। खास बात ये रही कि रैली के दौरान ही बसपा प्रमुख मायावती के भांजे प्रबुद्ध कुमार ने भी रालोद का दामन थाम कर सियासी ताप को और बढ़ा दिया। इसे भी वेस्ट यूपी में रालोद की बढ़ती ताकत के रूप में देखा जा रहा है। बहरहाल सपा रालोद की इस रैली के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज गया है। जिसमें पहली बाजी सपा रालोद के खाते में ही जाती दिख रही है। आगे देखना होगा कि सपा रालोद की इस रैली की काट में सत्तारूढ़ भाजपा क्या दांव खेलती है।