हर चुनाव की तरह असम में भी कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें ढाल बनाकर बीजेपी सत्ता का स्वाद चखने के मूड में है। केंद्र की योजना, स्टार प्रचारकों का आकर्षण और स्थानीय मुद्दों के कंपलीट पैकेज के साथ बीजेपी असम चुनाव को अपने कब्जे में करने की तैयारी में है। आइए जानते हैं को कौनसे मुद्दे हैं जो इस बार असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के एजेंडे में शीर्ष पर हैं।
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असम में विकास को प्राथमिकता देने की अब तक तमाम नेताओं ने अपने भाषण में कही है। जो साबित करता है कि विकास इस चुनाव का पहला और अहम मुद्दा है। बीजेपी चाहती है केंद्र की उपलब्धियों के साथ पीएम मोदी के विजन और प्रदेश के पिछले पांच साल में हुए विकास को जन-जन तक पहुंचाया जाए, ताकि जनता इस विकास को वोट में तब्दील कर बीजेपी को विजयश्री का आशीर्वाद दे।
असम में विकास को प्राथमिकता देने की अब तक तमाम नेताओं ने अपने भाषण में कही है। जो साबित करता है कि विकास इस चुनाव का पहला और अहम मुद्दा है। बीजेपी चाहती है केंद्र की उपलब्धियों के साथ पीएम मोदी के विजन और प्रदेश के पिछले पांच साल में हुए विकास को जन-जन तक पहुंचाया जाए, ताकि जनता इस विकास को वोट में तब्दील कर बीजेपी को विजयश्री का आशीर्वाद दे।
सुरक्षा को लेकर विरोधियों पर निशाना
बीजेपी ने विकास के साथ-साथ सुरक्षा को भी अहम मुद्दा बनाया है। चुनावी रैलियों में राजनाथ हों, अमित शाह हों या फिर योगी आदित्यनाथ जब भी जनता से रूबरू हुए सुरक्षा के मुद्दे को खासी तवज्जो दी।
बीजेपी ने विकास के साथ-साथ सुरक्षा को भी अहम मुद्दा बनाया है। चुनावी रैलियों में राजनाथ हों, अमित शाह हों या फिर योगी आदित्यनाथ जब भी जनता से रूबरू हुए सुरक्षा के मुद्दे को खासी तवज्जो दी।
खास तौर पर घुसपैठ के मुद्दे को लेकर इन नेताओं ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने घुसपैठियों ने पनाह देने का काम किया है। बीजेपी की सरकार आने के बाद से प्रदेश में जनता की सुरक्षा पर काम हुआ है।
दास भी मानते हैं सिर्फ दो मुद्दे
बीजेपी की असम इकाई के प्रमुख रंजीत कुमार दास के मुताबिक असम विधानसभा चुनाव के लिए केवल दो मुद्दे विकास और सुरक्षा है। उन्होंने कहा, बीजेपी का आधिकारिक अभियान दो पहलुओं असम के विकास और सुरक्षा पर केंद्रित है। कोई अन्य विषय नहीं है।
बीजेपी की असम इकाई के प्रमुख रंजीत कुमार दास के मुताबिक असम विधानसभा चुनाव के लिए केवल दो मुद्दे विकास और सुरक्षा है। उन्होंने कहा, बीजेपी का आधिकारिक अभियान दो पहलुओं असम के विकास और सुरक्षा पर केंद्रित है। कोई अन्य विषय नहीं है।
हमारी सरकार में अल्पसंख्यक ज्यादा सुरक्षित
दास ने दावा किया कि – अल्पसंख्यक लोगों की सभी हत्याएं केवल कांग्रेस शासन के दौरान हुईं। हमारे कार्यकाल में, अल्पसंख्यक समुदाय के एक भी व्यक्ति को छुआ तक नहीं गया है, हत्या के बारे में तो भूल जाओ। यही अंतर है।
दास ने दावा किया कि – अल्पसंख्यक लोगों की सभी हत्याएं केवल कांग्रेस शासन के दौरान हुईं। हमारे कार्यकाल में, अल्पसंख्यक समुदाय के एक भी व्यक्ति को छुआ तक नहीं गया है, हत्या के बारे में तो भूल जाओ। यही अंतर है।
कांग्रेस और एआईयूडीएफ गठबंधन से डर
भले ही बीजेपी अपने चुनावी मुद्दों में विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस और बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के गठबंधन का डर बीजेपी को सता रहा है।
भले ही बीजेपी अपने चुनावी मुद्दों में विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस और बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के गठबंधन का डर बीजेपी को सता रहा है।
दरअसल एआईयूडीएफ की मुस्लिम वोट बैंक में खासी पकड़ मानी जा रही है। यही वजह है कि इस गठबंधन को लेकर बीजेपी का हर नेता तीखा हमला बोल रहा है। फिर चाहे वो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हों या फिर अमित शाह। सभी दिग्गज नेताओं ने इस गठबंधन पर निशाना साधा और कहा कि ये वहीं एआईयूडीएफ है जिसे पूर्व सीएम तरुण गोगोई ने नकार दिया था।
अब सत्ता के लिए कांग्रेस ने इस पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है। बीजेपी एआईयूडीएफ और कांग्रेस पर घुसपैठ को बढ़ावा देने और तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाती आ रही है। ऐसे में ये माना जा सकता है कि उनके चुनावी मुद्दों ने ना सिर्फ विकास और सुरक्षा है बल्कि कांग्रेस-एआईयूडीएफ का गठबंधन भी है।
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असम विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी जिन सहयोगी पार्टियों के साथ चुनावी मैदान में है उनमें, गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ( UPPL ) रूप से शामिल है।
असम विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी जिन सहयोगी पार्टियों के साथ चुनावी मैदान में है उनमें, गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ( UPPL ) रूप से शामिल है।