पंद्रह विधानसभाओं में सात बार कांग्रेस तो सात बार भाजपा
इस सीट के इतिहास पर अगर गौर करें तो अब तक पंद्रह विधानसभा चुनावों में सात बार कांग्रेस और सात बार भाजपा के कब्जे में यह सीट रही है। जबकि पहले जहां कांग्रेस जहां भाजपा को चुनौती देती नजर आती थी, वहीं पिछले दो चुनावों से बसपा ने भाजपा को पसीना ला दिया है।
यह भी पढ़े : चाचा शिवपाल को चुनाव आयोग ने दिया जोर का झटका कैंट विधानसभा सीट 1956 में अस्तित्व में आयी थी और पहला चुनाव 1957 में हुआ था। तब इस सीट पर कांग्रेस की प्रकाशवती सूद ने सीपीआई के शांति स्वरूप को हराकर पहले ही चुनाव में सीट कांग्रेस को दी थी। इसके बाद वह दूसरी बार भी विधायक निर्वाचित हुई। 1967 में इस सीट पर कांग्रेस को झटका लगा और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के वी त्यागी ने कांग्रेस के कैलाश प्रकाश को हराकर यह सीट कांग्रेस से छीन ली। लेकिन अगले ही 1969 के चुनाव में कांग्रेस के उमादत्त शर्मा ने फिर से जीत हासिल की।
कांग्रेस के अजीत सिंह सेठी चार बार विधायक
कांग्रेस ने 1974 में पंजाबी बिरादरी से अजीत सिंह सेठी को चुनाव मैदान में उतारा और वह विधायक चुने गये। इसके बाद अजीत सिंह सेठी की कैंट सीट पर एक तरफा बादशाहत चली और वह 1989 तक लगातार चार बार विधायक रहे। आजादी के बाद से 1985 के चुनाव तक कांग्रेस ने कैंट सीट पर जीत दर्ज की। वहीं 1989 के बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। आज भी इस सीट पर भाजपा ही सत्ता में है। बीतेम तीन चुनाव से भाजपा ने विधायक सत्यप्रकाष अग्रवाल लगातार जीतते आ रहे हैं।
यह भी पढ़े : रेसलर बबीता फोगाट ने जताई यूपी चुनाव लड़ने की इच्छा, जानिये क्या कहा यह है विधानसभा क्षेत्र का इतिहास भूगोल मेरठ कैंट विधानसभा सीट में अधिकतर हिस्सा छावनी क्षेत्र का आता है। यह देश की बड़ी छावनियों में से एक है। कैंट में वोट देने वाले आज के वोटरों के पूर्वजन किसी जमाने में अंग्रेजों के गुलाम थे। अंग्रेजों ने अपने छोटे-मोटे कामों के लिए इन लोगों को छावनी के आसपास बसाया था। अंग्रेज तो चले गए और समय के साटा आबादी बढती रही। अब यह आबादी करीब 6-7 लाख के आसपास हो चुकी है। मेरठ का सबसे अच्छा बाजार आबूलेन इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां पर प्राचीन काली पलटन का मंदिर और प्रसिद्ध विल्वेष्वर महादेव मंदिर है। काली पलटन का इतिहास 1857 की क्रांति से जुड़ा है। इस सीट पर अधिकांश जनता पढी लिखी है। पंजाबी,दलित और वैष्य वोट बैंक बाहुल्य इस सीट पर पिछले 15 साल से सत्यप्रकाश भाजपा के विधायक हैं। बीते साल बसपा के सुनील वाधवा बसपा के चुनाव चिंह पर चुनाव लडे़ लेकिन वे इस सीट पर हार गए।
मुददे
इस सीट के कुछ खास मुददे भी है। जिसमें बिजली, पानी, सुरक्षा एवं अपराध के अलावा अवैध डेरी हटाना और सड़के इत्यादी है।
1985 में
अजीत सिंह सेठी – 26734
राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल 11872
1989 में
परमात्मा शरण मित्तल 48988
अजीत सिंह सेठी 32385
1993 चुनाव
अमित अग्रवाल 71479
दयानंद 33284
1996 चुनाव
अमित अग्रवाल 73726
रमेश ढीगरा 32680
2002 चुनाव
सत्यप्रकाश अग्रवाल 56800
रमेश ढींगरा 40517
2007 चुनाव
सत्यप्रकाश अग्रवाल 56800
सुनील कुमार वाधवा 40621
2012 चुनाव
सत्यप्रकाश अग्रवाल 70820
सुनील कुमार वाधवा 67207
2017 चुनाव
सत्य प्रकाश अग्रवाल भाजपा
सतेंद्र सोलंकी बसपा