बता दें कि सपा ने अपना दल (कामेरावादी) नेता पल्लवी पटेल को प्रयागराज के सिराथू से टिकट तो दिया है पर अपना दल की जगह समाजवादी पार्टी का सिंबल दे रही है। ये बात अपना दल के नेताओं को नागवार गुजरी है। इतना ही नहीं सपा ने प्रयागराज की एक अन्य सीट प्रयागराज पश्चिम सीट भी अपने पास रख ली है। सपा के इन दोनों ही निर्णयों को अद नेता पचा नहीं पा रहे। हालात इतना बिगड़ गए कि अद की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल को हस्तक्षेप करना पड़ा है। कृष्णा पटेल जौनपुर का दौरा बीच में ही छोड़ कर वाराणसी लौटीं और आनन-फानन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संग बैठक की। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस आपात बैठक में प्रयागराज की दो सीटों के सपा के अपने पास रखने पर चर्चा की गई।
इसी बीच सपा के एक वरिष्ठ नेता का फोन आया जिसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज निरंजन ने बताया कि कुछ सीटों को लेकर दोनों पक्षो के बीच कुछ मतभेद हो गया था। हालांकि निरंजन ने कहा कि इससे गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। यहां तक कि अपना दल को कोई सीट नहीं मिलती है तो भी गठबंधन बना रहेगा। हालांकि पल्लवी को सपा से टिकट दिए जाने पर वो चाह कर भी अपनी नाराजगी को छिपा नहीं सके।
बता दें कि समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर जो सर्वे कराया था, उसी आधार पर टिकट का बंटवारा किया जा रहा है। सर्वे के तहत विधानसभा सीट और दावेदारों की संबंधित क्षेत्र से स्थिति, उनकी जीत के समीकरण के आधार को ही टिकट बंटवारे का आधार बनाया जा रहा है। इसके तहत अगर किसी विधानसभा सीट से पार्टी को लाभ पहुंचने की स्थिति है और सीट किसी सहयोगी दल के खाते में है तो सपा बेहतर रिजल्ट देने वाली पार्टी के चेहरे को अपनी सिंबल पर उतार रही है। यहां ये भी बता दें कि ये फार्मूला 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने अपनाया था।
इस बीच माना ये जा रहा है कि पल्लवी पटेल को प्रयागराज के सिराथू से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ इसलिए उतारा जा रहा है क्योंकि वहां कुर्मी वोटरों की संख्या अच्छी खासी है।