शाह ने कहा कि हिंदी भाषा को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह समय अब समाप्त हो गया है। उन्होंने दुनिया भर में हमारी भाषाओं का प्रचार करने के लिए गर्व के साथ काम करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय दिया। इस कार्यक्रम में यह भी निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राष्ट्रीय राजधानी से बाहर ले जाया जाएगा। “हमने 2019 में यह निर्णय लिया था, लेकिन कोविड के कारण इसे लागू नहीं कर सके। आज मुझे खुशी है कि आजादी के अमृत महोत्सव में यह नई शुभ शुरुआत होने जा रही है।
स्वराज तो मिला, लेकिन स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूटा अमित शाह ने कहा कि, प्रधानमंत्री मेादी ने कहा है कि अमृत महोत्सव, देश को आजादी दिलाने वाले लोगों की स्मृति को पुनः जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए तो है ही, ये हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है। आजादी के आंदोलन को गांधी जी ने लोक आंदोलन में परिवर्तित किया इसके तीन स्तंभ थें- स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा।
स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूट गया। 2014 के बाद मोदी जी ने पहली बार मेक इन इंडिया और अब पहली बार स्वदेशी की बात करके, स्वदेशी को फिर से हमारा लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, काशी भाषा का गौमुख है, भाषाओं का उद्भव, भाषाओं का शुद्धिकरण, व्याकरण को शुद्ध करना, चाहे कोई भी भाषा हो, काशी का बड़ा योगदान है।
“सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते” अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते। उन्होंने कहा कि सावरकर ने ही हिंदी शब्दकोश बनाया था, अंग्रेजी हम पर थोपी गई थी। उन्होंने कहा कि हिंदी के शब्दकोश के लिए काम करना होगा और इसे मजबूत करना होगा।
आतंकवाद की पनाहगार माने जाने वाले आजमगढ़ में बन रहा सरस्वती का मंदिर: शाह शनिवार को आजमगढ़ में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि, जिस आजमगढ़ को दुनियाभर के अंदर, सपा शासन में कट्टरवादी सोच और आतंकवाद की पनाहगार के रूप में जाना जाता था, उसी भूमि पर हम लोग आज मां सरस्वती जी का धाम बनाने का काम कर रहे हैं। शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल को मच्छर और माफिया मुक्त कर दिया। आजगमढ़ भी इसी में शामिल है।