आखिर करहल विधानसभा सीट से ही क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं अखिलेश यादव
करहल विधानसभा समाजवादियों का गढ़ करहल विधानसभा समाजवादियों का गढ़ है। वर्ष 1957 में करहल को सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 1974 में करहल सामान्य विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। अखिलेश यादव पहली बार इस सीट से विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। इस सीट से मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह भी एमएलए रह चुके हैं। वैसे अखिलेश यादव कन्नौज संसदीय सीट से तीन बार सांसद चुने गए थे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे आजमगढ़ सीट से चुनाव जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचे। 2002 से लगातार चार बार से इस सीट पर सपा विधायक सोबरन सिंह का कब्जा है।यूपी की हॉट विधानसभा सीट : गुरुओं की विरासत संभालने उतरे योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव
करहल विधानसभा है समाजवादियों का गढ़ करहल विधानसभा मैनपुरी जिले का अंग है। करहल विधानसभा क्षेत्र में कुल 371261 मतदाता है। जातीय समीकरण के लिहाज से यादव मतदाताओं की संख्या 1.25 लाख के आसपास है। वहीं शाक्य 35 हजार, क्षत्रिय 30 हजार और दलित मतदाताओं की संख्या कुल 22 हजार है। इसके अलावा ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 16 हजार है। इस सीट पर 1980 में पहली बार कांग्रेस के शिवमंगल सिंह व चुनाव 2002 में भाजपा से सोबरन सिंह जीते थे। बाद में सोबरन सिंह सपा में आ गए थे।– 02 फरवरी को नामांकन पत्रों की जांच
– 04 फरवरी को नामांकन व पापसी का मौका
– 20 फरवरी को होगा मतदान
– 10 मार्च को होगी मतों की गणना।