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बालोद

ये कैसी मनमर्जी : जर्जर स्कूल की छत का करना था मरम्मत, पीडब्ल्यूडी ने दूसरे स्कूल की छत तोड़कर बना दी

बालोद जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की राशि का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसकी न जिला प्रशासन को भनक है और न शिक्षा विभाग को। योजना के तहत मनमर्जी से काम किया जा रहा है। जिस स्कूल भवन की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई, उसे दूसरे स्कूल में खर्च कर दिया गया। यह कारनामा लोक निर्माण विभाग का है।

बालोदAug 27, 2024 / 11:34 pm

Chandra Kishor Deshmukh

बालोद जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की राशि का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसकी न जिला प्रशासन को भनक है और न शिक्षा विभाग को। योजना के तहत मनमर्जी से काम किया जा रहा है। जिस स्कूल भवन की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई, उसे दूसरे स्कूल में खर्च कर दिया गया। यह कारनामा लोक निर्माण विभाग का है।
Mukhyamantri Jatan Yojana बालोद जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की राशि का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसकी न जिला प्रशासन को भनक है और न शिक्षा विभाग को। योजना के तहत मनमर्जी से काम किया जा रहा है। जिस स्कूल भवन की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई, उसे दूसरे स्कूल में खर्च कर दिया गया। यह कारनामा लोक निर्माण विभाग का है।

छत से टपकता है पानी, बच्चे बैठ रहे बरामदे में

यह मामला जिले के ग्राम दरबारी नवागांव व देवी नवागांव का है। दरबारी नवागांव में संचालित शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है। छत से पानी टपकता है। बच्चे बरामदे में बैठते हैं।
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इंजीनियर ने देवीनवागांव का बना दिया स्टीमेट

मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत जिस स्कूल भवन के लिए राशि स्वीकृत की गई, उसका नाम नवागांव (डी) यानी दरबारी नवागांव है। स्कूल मरम्मत के लिए 6 लाख 45 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे। भवन का स्टीमेट बनाने गए इंजीनियर ने देवीनवागांव समझकर उसका निरीक्षण किया और मरम्मत करवा दी। वास्तव में दरबारी नवागांव स्कूल की मरम्मत होनी थी।

मामले के खुलासे से मचा हड़कंप

इस मामले का खुलासा होने के बाद अब शिक्षा विभाग व लोक निर्माण विभाग में हड़कंप मच गया है। वहीं लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता मौन है।
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स्कूल का नाम एक जैसे पर यूडाइस कोड है अलग-अलग

मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत जब जर्जर स्कूलों की सूची मांगी गई तो जनपद से स्टीमेट बनाकर शिक्षा विभाग को दिया गया, लेकिन उसमें एक भी जगह देवीनवागांव का जिक्र ही नहीं था। स्कूल के यूडाइस कोड के आधार पर राशि स्वीकृत हुई थी। जब यूडाइस कोड के आधार पर दरबारी नवागांव स्कूल की मरम्मत करनी थी, लेकिन देवीनवागांव के स्कूल की मरम्मत कर दी।

लोक निर्माण के ईई व एसडीओ मौन, नहीं देते जवाब

मामले पर लोक निर्माण विभाग के ईई मधेश्वर प्रसाद व एसडीओ से जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। लोक निर्माण विभाग से यह जानकारी मिली कि मरम्मत के लिए दरबारी नवागांव स्कूल का स्टीमेट बनाया गया था।

शिक्षा विभाग को नहीं रहती जानकारी

यहां के विकासखंड शिक्षा अधिकारी अक्सर यही बात कहते हैं कि वह निरीक्षण में हैं। विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी की है। उन्हें ही नहीं मालूम कि कब लोक निर्माण विभाग ने देवीनवागांव के स्कूल भवन की छत तोड़कर मरम्मत करा दी।

कितनी राशि खर्च हुई, यह जानकारी भी नहीं

शिक्षा विभाग के मुताबिक 2023 में ही 6 लाख 45 हजार रुपए की राशि स्वीकृत हुए थे, लेकिन कितनी राशि खर्च हुई, इसकी जानकारी लोक निर्माम विभाग ने शिक्षा विभाग को नहीं दी है। जबकि स्कूल भवन की छत को तोड़कर मरम्मत कराई जा चुकी है।

विभागीय लापरवाही का नतीजा भुगत रहे बच्चे

शासकीय माध्यमिक शाला दरबारी नवागांव का स्कूल भवन जर्जर है। पूरे कमरे में बारिश का पानी टपकता है। प्लास्टर गिरने का डर लगा रहता है। इसे देखते हुए बच्चों को बरामदे में बैठाया जा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार शिक्षा विभाग को मरम्मत के लिए आवेदन दिया। राशि भी स्वीकृत हुई, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण बच्चों को अच्छा स्कूल नसीब नहीं हुआ।

हमने सूची दरबारी नवागांव स्कूल की दी थी

विकासखंड शिक्षा अधिकारी बसंत नाग ने कहा कि लोक निर्माण विभाग को जो सूची दी गई थी, उसमें दरबारी नवागांव का नाम था। लोक निर्माण विभाग ने किस कारण देवीनवागांव स्कूल की छत तोड़ी, मालूम नहीं है।

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