इतने कम पैसे में करना होता है गुजारा
इस बात पर यकीन करना मुश्किल है, लेकिन ये सच है कि कई राज्यों में ट्रेनी डॉक्टरों को शुरुआती सैलरी दिहाड़ी मजदूरों से भी कम मिलती है। नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) द्वारा दी गई एक जानकारी के अनुसार, MBBS में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद स्पेशलिस्ट की ट्रेनिंग ले रहे कैंडिडेट्स की सैलरी कई जगहों पर 14 रुपये हजार प्रति महीने होती है। हालांकि, रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी को लेकर NMC का कहना है कि ये इस बात पर निर्भर करता है कैंडिडेट्स किस कॉलेज में सीट पाने में सफल होते हैं।
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क्या-क्या अलग अलग जगहों पर सैलरी में फर्क है
रेजिडेंट डॉक्टर मेडिकल जगत में अहम भूमिका निभाते हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी विभिन्न राज्यों में अलग अलग होती है। कई बार एक ही राज्य के मेडिकल व प्राइवेट कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी में फर्क दिखता है। कई निजी कॉलेजों में स्पेशिलिटी के आधार पर स्टाइपेंड की राशि भी अलग-अलग होती है।किन राज्यों में मिलता है सबसे कम स्टाइपेंड? (MBBS Stipend)
केंद्र सरकार की तरफ से संचालित संस्थानों के अलावा, सबसे अधिक स्टाइपेंड पूरे भारत में ईएसआई मेडिकल कॉलेजों में दिया जाता है। यहां एवरेज स्टाइपेंड लगभग 1.2 लाख रुपये प्रति महीना है। यहां तक कि विभिन्न राज्यों में सरकारी कॉलेजों में भी स्टाइपेंड राशि में बहुत अधिक अंतर है। देश में जो चार मेडिकल कॉलेज सबसे कम स्टाइपेंड का भुगतान करते हैं, उनमें-- यूपी – मेयो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज- 14 हजार/माह
- बेंगलुरु- ईस्ट पॉइंट कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर- 15,000 रुपये/माह
- पंजाब – आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च- 15,600 रुपये/माह)
- लखनऊ- प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (18000 रुपये/माह शामिल हैं