एक आंतरिक ऑडिट के अनुसार, 2,182 स्कूलों को उन्हें भुगतान किए गए लगभग 15 करोड़ रुपए अतिरिक्त वापस करने हैं। हालांकि, एक स्कूल एसोसिएशन ने अतिरिक्त भुगतान के दावे को गलत धारणा बताते हुए राशि लौटाने से साफ मना कर दिया है।
16,000 रुपए तक की प्रतिपूर्ति का प्रावधान
संशोधन से पहले, शिक्षा के अधिकार Right to Education की धारा 12 1 (सी) में यह अनिवार्य था कि सभी निजी स्कूल अपने आस-पास के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 25 फीसदी सीटें अलग रखें। राज्य सरकार उन्हें ग्रेड के आधार पर हर साल प्रति छात्र 8,000 रुपए से 16,000 रुपए तक की प्रतिपूर्ति करेगी। महालेखा परीक्षक के ऑडिट के बाद, स्कूल शिक्षा विभाग ने आरटीइ भुगतान में विसंगतियां पाईं और स्कूलों को प्राप्त अतिरिक्त राशि वापस करने के लिए कहा।
संशोधन से पहले, शिक्षा के अधिकार Right to Education की धारा 12 1 (सी) में यह अनिवार्य था कि सभी निजी स्कूल अपने आस-पास के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 25 फीसदी सीटें अलग रखें। राज्य सरकार उन्हें ग्रेड के आधार पर हर साल प्रति छात्र 8,000 रुपए से 16,000 रुपए तक की प्रतिपूर्ति करेगी। महालेखा परीक्षक के ऑडिट के बाद, स्कूल शिक्षा विभाग ने आरटीइ भुगतान में विसंगतियां पाईं और स्कूलों को प्राप्त अतिरिक्त राशि वापस करने के लिए कहा।
स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त के.वी. त्रिलोक चंद्र ने पुष्टि की कि ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त राशि लौटाने के लिए नोटिस जारी किए गए। जवाब के आधार पर होगी कार्रवाई विभाग के अनुसार, 204 तालुकों में किए गए भुगतान की समीक्षा की गई। इनमें से 112 तालुकों में विसंगतियां पाई गईं। समीक्षा के अनुसार, कुल 16.8 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया। इसमें से 1.9 करोड़ रुपए वापस कर दिए गए हैं। 2,182 स्कूलों से शेष राशि वसूलने की प्रक्रिया चल रही है। स्कूलों को काई समस्या है तो उन्हें जवाब देने का अवसर दिया जाएगा। उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
जवाब का इंतजार
लोक शिक्षण विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अधिकांश स्कूलों ने कहा है कि वे फीस वापस नहीं करेंगे। इसके बजाय, उनमें से कुछ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें दिखाया गया है कि उनका वास्तविक व्यय सरकार द्वारा पहले से दी गई राशि से अधिक था। हमने आपत्तियां और उनके दस्तावेज आयुक्त कार्यालय को सौंप दिए हैं और जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
लोक शिक्षण विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अधिकांश स्कूलों ने कहा है कि वे फीस वापस नहीं करेंगे। इसके बजाय, उनमें से कुछ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें दिखाया गया है कि उनका वास्तविक व्यय सरकार द्वारा पहले से दी गई राशि से अधिक था। हमने आपत्तियां और उनके दस्तावेज आयुक्त कार्यालय को सौंप दिए हैं और जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
इस वजह से गलतफहमी
राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधन संघ के सचिव शशिकुमार डी. ने कहा कि स्कूल फीस वापस नहीं करेंगे। कुछ स्कूलों को अधिकतम संभव राशि दी गई। लेकिन कई स्कूलों को 8000 रुपए से भी कम राशि मिली। गणना में इस्तेमाल किए गए विभिन्न घटकों को ठीक से निर्दिष्ट नहीं किया गया था। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ऑडिटर के ध्यान में नहीं ला सके कि गणना कैसे की गई। इस वजह से ऑडिटर जनरल को गलतफहमी हुई है।
शशिकुमार ने कहा, विभाग यह बताए कि उन्होंने प्रति बच्चे व्यय का निर्धारण कैसे किया। विभाग ने हममें से अधिकांश को एक छोटी राशि दी। अब, हमसे पैसे वापस करने के लिए कहना, हमें लूटने के अलावा और कुछ नहीं है। कई स्कूलों को नोटिस मिले हैं, लेकिन हम पैसे वापस नहीं करेंगे।