बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकारी नौकरियों ( Government jobs ) में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था। आज इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। सर्वोच्च अदालत ने 26 मार्च को मराठा आरक्षण वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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पांच न्यायाधीशों की पठी ने 15 मार्च को शुरू की थी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) इस मुद्दे पर विचार गौर करेगा कि क्या 1992 के इंदिरा साहनी फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनíवचार करने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी फैसले में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई थी। संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी। उच्च न्यायालय ने जून 2019 के कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है। रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए तथा नामांकन में यह 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह भी पढ़ें
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दरअसल, बांबे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में शिक्षण संस्थानों ( Educational Institutions ) और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था। बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण एक सियासी मुद्दा है। सभी राजनीतिक दल वोट बैंक खिसकने के डर दे मराठा आरक्षण के पक्ष में हैं। लेकिन मराठा आरक्षण की वजह से अब एक संवैधानिक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। इस मामले में याची का तर्क है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण गैर कानूनी है। यह भी पढ़ें