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दरअसल, इस मामले की तार राजस्थान हाई कोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। एक भर्ती में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होने के बाद 75% Qualifying नंबर पर ही नियुक्ति की जाएगी, ऐसा नियम बनाया गया था। जिसके बाद उम्मीदवारों के लिए परेशानी बढ़ गई थी और कई उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिल पाई थी। उम्मीदवारों का यह कहना था कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा जाना चाहिए।
Supreme Court : क्या है पूरा मामला
दरअसल, इस मामले की तार राजस्थान हाई कोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। एक भर्ती में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होने के बाद 75% Qualifying नंबर पर ही नियुक्ति की जाएगी, ऐसा नियम बनाया गया था। जिसके बाद उम्मीदवारों के लिए परेशानी बढ़ गई थी और कई उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिल पाई थी। उम्मीदवारों का यह कहना था कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सवाल यह था कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं ? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर भर्ती शुरू होने से पहले नियमों में यह कहा गया है कि आगे नियमों में बदलाव संभव है, तो ऐसा किया जा सकता है। लेकिन मनमाने तरीके से इसे नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि भर्ती प्रकिया पूरी तरीक से पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए।
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सवाल यह था कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं ? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर भर्ती शुरू होने से पहले नियमों में यह कहा गया है कि आगे नियमों में बदलाव संभव है, तो ऐसा किया जा सकता है। लेकिन मनमाने तरीके से इसे नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि भर्ती प्रकिया पूरी तरीक से पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए।
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यह मामला 2009 से शुरू होती है। जब भर्ती के बीच में नया नियम बना दिए जाने के कारण अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिल पाई थी। जिसके बाद 3 अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन बाद में साल 2010 में उनकी याचिका खारिज हो गई थी। वहीं साल 2013 में Supreme Court के 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा भेज दिया था।
Supreme Court : कई साल पुराना है मामला
यह मामला 2009 से शुरू होती है। जब भर्ती के बीच में नया नियम बना दिए जाने के कारण अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिल पाई थी। जिसके बाद 3 अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन बाद में साल 2010 में उनकी याचिका खारिज हो गई थी। वहीं साल 2013 में Supreme Court के 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा भेज दिया था।