केंद्र ने एक विशेषज्ञ समिति की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि एक बार के असाधारण उपाय के तौर पर अंतिम वर्ष के छात्रों को एमबीबीएस की अंतिम परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अदालत के निर्देश के मद्देनजर इस मुद्दे पर सरकार द्वारा एक समिति का गठन किया गया था। अदालत ने कहा कि वह कोई विशेषज्ञ नहीं है और काफी हद तक समिति द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार किया।
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युद्ध और महामारी के कारण लौटना पड़ा भारत-
मुख्य रूप से विभिन्न मेडिकल कॉलेज/विश्वविद्यालयों के पहले से चौथे वर्ष के ऐसे स्नातक छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेज में समायोजित करने का अनुरोध किया गया था जो वैश्विक महामारी कोविड-19 और युद्ध के कारण यूक्रेन, चीन और फिलीपींस से लौटे थे। अब इन मेडिकल छात्रों को दो प्रयासों में एमबीबीएस फाइनल परीक्षा पास करने की अनुमति दे दी है। उन्हें भारत के किसी भी मेडिकल कालेज में पंजीकृत हुए बगैर ही मौजूदा नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के पाठ्यक्रम और दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
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