शिवप्रसाद का जन्म महाराष्ट्र में सोलापुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर गांव माडा के साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन गाँव में ही गुजरा। उनके पिता मदन नकाते एक किसान होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। पिताजी के नक्शेकदम ही शिवप्रसाद को भी लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरणा मिली। ग्रामीण परिवेश के सरकारी स्कूल में मराठी मीडियम में 10वीं तक पढ़ाई की। पढाई के दौरान ही यूपीएससी का सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास करके आईएएस बनने का सपना देखा। जिन्होंने भी सपना देखा है और जज्बा पाला है उन्होंने जूनून के साथ साकार भी किया है।
झुग्गी में पली बढ़ी इस लड़की ने विकलांगता को जीत कर IAS बनने का किया सपना पूरा
समसामयिकी के लिए अखबार पढ़ने की आदत बनीशिवप्रसाद ने पढ़ाई के दौरान ही एक बार बीडीएस और दूसरी बार एमटेक करने के लिए आईआईटी में एंट्रेस टेस्ट पास किया। अभिभावकों की इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने ताकि गांव के पास किसी शहर में रह कर डॉक्टरी करने के साथ ही अपनी पुश्तैनी खेती का ख़याल रखें। शिवप्रसाद के सामने लक्ष्य था आईएएस बनने का, तो न तो उन्होंने बीडीएस में एडमिशन लिया और न ही आईआईटी में। गांव से होने की वजह से और शहर से दूरी वजह ने कभी कोचिंग करने का मौका नहीं दिया। शुरू से ही स्वाध्याय पर ही जोर दिया और तैयारी शुरू कर दी। परीक्षा की तैयारी के वक्त फोन से दूरी बना ली और समसामयिकी के लिए अखबार की आदत बरकरार रखी। परीक्षा की तैयारी के लिए जरुरी है धैर्य और ध्यान, पूरी मेहनत होर लगन के साथ तैयारी शरू की।
रोजाना 10 घंटे परीक्षा की तैयारी और रूटीन की समसामयिकी के साथ ही लक्ष्य की चलता रहा। 2010 में राज्य वन सेवा, महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा और सेंट्रल पुलिस फोर्स में असिस्टेंट कमांडेंट पद पर चयन हुआ। लक्ष्य सिर्फ आईएएस बनने का था, जिसके आगे बड़ी से बड़ी नौकरियां भी रास नहीं आ रही थी। इस वजह तीनों में से कोई नौकरी ज्वाइन नहीं की। महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए 50 अभ्यर्थियों के बैच के साथ रहकर सेल्फ स्टडी के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी की। 2010 में परीक्षा दी और पहले प्रयास में सफलता हासिल की। 2011 में सिविल सर्विस ज्वाइन की। शिवप्रसाद मदन नकाते वर्तमान में राजस्थान के श्रीगंगानगर में कलेक्टर और इससे पहले बाड़मेर जिले के जिला कलेक्टर थे।