क्या है इस रिपोर्ट का कहना (IIT Mandi Report)
रिपोर्ट के अनुसार, 14 प्रतिशत भारतीय छात्र ग्रेजुएशन खत्म होने के बाद ही अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, जो कि दुनिया के औसत 15.7 प्रतिशत के लगभग बराबर है। वहीं 31.4 प्रतिशत छात्र ग्रेजुएशन के पांच साल बाद खुद का रोजगार शुरू करने की सोच रखते हैं, जबकि वैश्विक औसत 30 प्रतिशत है। 32.5 प्रतिशत भारतीय कॉलेज छात्र पहले से ही नए उद्यमी हैं और अपने व्यवसाय शुरू करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। यह आंकड़ा वैश्विक औसत 25.7 प्रतिशत से अधिक है। यह भी पढ़ें
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रिपोर्ट (Shocking Report) के अनुसार, ग्रेजुएशन के बाद नौकरी खोजने वालों की संख्या 69.7 प्रतिशत है। लेकिन पांच साल बाद ये संख्या घटकर 52.2 प्रतिशत रह जाती है। वहीं 31 प्रतिशत छात्र उस समय तक अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। कुल मिलाकर इस रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय छात्रों में खुद का बिजनेस शुरू करने की इच्छा सबसे ज्यादा देखी गई, जिसका औसत 7 में से 4.6 है जोकि वैश्विक औसत 3.7 से ज्यादा है। करीब 38 प्रतिशत छात्र अपने बिजनेस को जमाने में लगे हैं, जिनमें से 33 प्रतिशत शुरुआत के चरण में हैं। हालांकि, केवल 4.8 प्रतिशत ही उस स्तर पर पहुंचे हैं जहां वे पैसे कमाना शुरू कर चुके हैं, जो बताता है कि आगे बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं।भारत स्टार्टअप के क्षेत्र में हो रहा है मजबूत
आईआईटी मंडी (IIT Mandi) के मैनेजमेंट स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर और रिपोर्ट के मुख्य लेखक, पुराण सिंह का कहना है कि भारत पहले से ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत के पास सबसे बड़ी युवा आबादी भी है। ऐसे में युवाओं की उद्यमशील क्षमता का दोहन हमारे देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह भी पढ़ें