नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) की पहली सरकार को सबसे ज्यादा रोजगार के मार्चे पर आलोचना झेलनी पड़ी थी। उसके बाद एजेंसियों और विभागों की ओर से जो रोजगार के आंकड़े सामने आए वो भी सरकार के फेवर में नहीं थे। ऐसे में इस बार रोजगार को बढ़ाने की सबसे बड़ी चुनौती निर्मला सीमारमण के सामने होगी। शनिवार को पेश हुए आर्थिक सर्वे से संकेत मिले हैं और कहा गया है कि अगले पांच साल में 4 करोड़ रोजगार पैदा किए जाएंगे, लेकिन सरकार इस मामले कितनी गंभीर है, बजट में देखने को मिलेगा।
इस बार निर्मला सीतारमण के पिटारे में शिक्षा को लेकर क्या होगा ख़ास जानने से पहले एक बार नजर डालते हैं पिछले पांच सालों में सरकार ने स्कूल और उच्च शिक्षा पर कितना खर्च किया है। आंकड़े के मुताबिक मोदी सरकार ने साल 2015-2016 में करीब 69,074.76 रुपये खर्च किए वहीं साल 2016-2017 में यह खर्च बढ़कर करीब 72,394.00 रुपये हो गया। इसके बाद साल 2017-2018 में करीब 79,685.95 रुपये और साल 2018-2019 में करीब 85,010.29 रुपये का प्रावधान रखा गया। पिछले साल 2019-20 में शिक्षा क्षेत्र पर कुल 94,853.64 करोड़ रूपए, जिसमें से 56, 536.63 करोड़ रुपये स्कूल सेक्टर के लिए और बाकी 38,317.01 करोड़ रुपये उच्च शिक्षा के लिए आवंटित किए गए थे। मिड-डे मील कार्यक्रम को 11,000 करोड़ रुपये, 2018-19 के बजट अनुमानों की तुलना में 500 करोड़ रुपये ज्यादा आवंटित किए गए थे।