शिक्षा

पुणे के 138 साल पुराने स्कूल ने लड़कियों के लिए खोले दरवाजे

स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि जेंडर संबंधी रूढिय़ों को खत्म करने के लिए स्कूल प्रशासन ने अब लड़कियों को भी प्रवेश देेने का फैसला किया है।

May 27, 2018 / 04:50 pm

जमील खान

School

दशकों पुरानी परंपरा को खत्म करते हुए महाराष्ट्र के पुणे में बाल गंगाधर तिलक जैसे स्वतंंत्रता सेनानियों द्वारा 138 साल पहले शुरू किए गए स्कूल में अब लड़कियों को भी आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रवेश दिया जाएगा। स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि जेंडर संबंधी रूढिय़ों को खत्म करने के लिए स्कूल प्रशासन ने अब लड़कियों को भी प्रवेश देेने का फैसला किया है।

बाल गंगाधर तिलक ने 1880 में अन्य सामाजिक सुधारकों गोपाल गणेश अगरकर और विष्णुशास्त्री चिपलुंकर के साथ मिलकर न्यू इंग्लिश स्कूल की शुरु आत की थी। स्कूल को चलाने का काम डेक्कन एजु केशन सोसा इटी का था और 1936 तक स्कूल में सह-शिक्षा थी। हालांकि, बाद में सो साइटी ने शहर में ही लड़कियों के लिए अहिलया देवी हाई स्कूल शुरू कर दिया।

हाल ही में स्कूल के प्रिंसिपल पद पर नियुक्त किए गए नागेश मोने ने कहा कि अब वह समय बीत चुका है जब लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग स्कूलों में पढ़ा या जाता था। उन्होंने आगे कहा, बढ़े होते हुए विद्यार्थियों को पता होना चाहिए कि लड़के और लड़कियां बरा बर हैं और जेंडर संबंधी रूढ़ी वादी सोच को खत्म करने के लिए स्कूल में छोटी उम्र में ही सह-शिक्षा शुरू कर देनी चाहिए।

प्रिंसिपल ने कहा कि यह देखा गया है कि सह शिक्षा स्कूलों में पारस् परिक सम्मान, बात चीत और स्वस्थ प्रति स्पर्धा काफी ऊंची हो ती है। सह शिक्षा स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे जब एक साथ हो ते हैं तो वे एक दूसरे से बड़ी साव धानी से बात चीत करते हैं। उन्होंने बताया कि आगा मी शैक्षणिक सत्र के लिए 25 लड़कियों ने स्कूल में दाखिला लिया है।

स्कूल प्रबंधन को उम्मीद है कि स्कूल में पढऩे वाले लड़के इस बदलाव को सका रात्मक रूप से लेंगे और सह शिक्षा के कारण संस्थान में और अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे।

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