उन्होंने कहा कि पीठ ने राज्य सरकार को TET (Teachers’ Eligibility Test) के जरिए शिक्षकों की भर्ती करने और नौकरी पाने वाले को जरूरी व्यावसायिक कोर्स जैसे बी.ईडी (बैचलर्सऑफ एजुकेशन) को भी पूरा करने के लिए उत्साहित करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च 2017 को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें न्यायालय ने पूर्ववर्ती वाम शासन के दौरान माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में ‘गड़बड़ी’ के आधार पर 10,323 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी।
पूर्ववर्ती वाम सरकार के अपील पर शीर्ष अदालत ने इस वर्ष जून तक इनकी सेवाओं में विस्तार कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार ने जून में इन शिक्षकों के सेवाओं के विस्तार के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब, शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने इस निर्णय को सराहा और कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने का भरसक प्रयास करेगी।
देब ने मीडिया से कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए अकादमिक और अन्य योग्यताओं के संबंध में जल्द ही एक बार में ही (वन-टाइम) छूट प्रदान करेगी।