इससे पूर्व बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर ओ. एन. सिंह ने बीएचयू में हुई हिंसा की जिम्मेदारी लेते हुए मंगलवार देर रात इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे को कुलपति ने मंजूर कर लिया था। शनिवार देर रात छेडख़ानी के विरोध में धरने पर बैठी छात्राओं को हटाने के लिए वाराणसी पुलिस ने बल प्रयोग किया था। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ने वाराणसी के कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी। कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव राजीव कुमार को भेज दी जिसमें उन्होंने इस घटना के लिए बीएचयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था।
मंत्रिमंडल ने 8वी तक फेल नहीं करने की नीति को खत्म किया
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को स्कूलों में आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति को खत्म कर दिया है। साथ ही कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के देश में 20 विश्वस्तरीय अनुसंधान व शिक्षण संस्थानों को खोलने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। हालांकि, विद्यार्थी को उसी कक्षा में रखने से पहले उसे परीक्षा के जरिए दूसरा मौका दिया जाएगा।
मंजूरी के लिए विधेयक को संसद में रखा जाएगा। वर्तमान शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के प्रावधानों के तहत विद्यार्थियों को कक्षा आठ तक फेल नहीं किया जाता था। 1 अप्रेल, 2010 को लागू हुए आरटीई नियम का यह एक अहम कदम था। वहीं, २० विश्व स्तरीय संस्थानों को खोलने के फैसले को सरकार ने जून में स्थगित कर दिया था जिसे बुधवार को मंजूरी दे दी गई।
यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फरवरी में नए नियम जारी किए थे जिनमें से सार्वजनिक क्षेत्र में १० विश्वस्तरीय संस्थान और निजी क्षेत्र में भी इतने ही संस्थान खोलने के लिए कहा गया था।