साथ ही बाल वाहिनी चलाने वाले प्रत्येक चालक का पुलिस वेरिफिकेशन सम्बन्धित थाने में होगा। उसे अपने वाहन का नाम बताना होगा ताकि तय किया जा सके कि उसमें कितने बच्चे बैठ सकते हैं। इससे बच्चा जिस बस या टैम्पों में स्कूल जा रहा है और उसमें सुरक्षित है या नहीं, इसका आंकलन आम आदमी भी कर सकेगा। हर जिले में कलेक्टर के माध्यम से गठित कमेटी को नियमित मोनिटरिंग करने के निर्देश भी दिए गए हैं।