प्रति कॉलेज ६०-६० की फैकल्टी अनिवार्य है और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) इनमें सिर्फ १० प्रतिशत कमी स्वीकार कर सकता है। सरकार ने दावा किया है कि इन कॉलेजों के लिए ५४-५४ की फैकल्टी उपलब्ध है। जबकि कमी पूरी करने के लिए साक्षात्कार लिए जा रहे हैं। विभाग ने कुछ माह पहले नियमों का हवाला देते हुए संबंधित जिलों में कार्यरत विशेषज्ञों को ही अनुभव के आधार पर फैकल्टी का दर्जा दिया था।
राहत की बात कॉलेज अपग्रेड हुआ तो विद्यार्थियों को वापस मिलेगी फीस और दस्तावेज
इस साल नीट के जरिए एमबीबीएस में प्रवेश की दूसरे चरण की काउंसलिंग प्रभावित होने से आने वाले समय में दूसरे कॉलेजों में अपग्रेड होने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक नुकसान नहीं होगा। नीट काउंसलिंग बोर्ड ने माना है कि दूसरे चरण की काउंसलिंग में देर के लिए विद्यार्थी दोषी नहीं हैं। गौरतलब है कि न्यायालय ने ऑल इंडिया कोटे की दूसरे चरण की काउंसलिंग रोकी हुई है। राज्य कोटे की काउंसलिंग भी रुकी हुई है।
इस साल नीट के जरिए एमबीबीएस में प्रवेश की दूसरे चरण की काउंसलिंग प्रभावित होने से आने वाले समय में दूसरे कॉलेजों में अपग्रेड होने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक नुकसान नहीं होगा। नीट काउंसलिंग बोर्ड ने माना है कि दूसरे चरण की काउंसलिंग में देर के लिए विद्यार्थी दोषी नहीं हैं। गौरतलब है कि न्यायालय ने ऑल इंडिया कोटे की दूसरे चरण की काउंसलिंग रोकी हुई है। राज्य कोटे की काउंसलिंग भी रुकी हुई है।
नीट यूजी मेडिकल एवं डेंटल काउंसलिंग बोर्ड के चेयरमैन डॉ. यूएस अग्रवाल ने बताया कि एक अगस्त से एमबीबीएस का प्रथम वर्ष का सत्र शुरू हो रहा है। जिन विद्यार्थियों को पहले चरण की काउंसलिंग में कॉलेज मिल चुके हैं, वे इस दिन से कक्षाएं ज्वाइन कर सकेंगे। बाद में दूसरे चरण की काउंसलिंग में उन्हें अपग्रेड कॉलेज मिलता है और वे उसमें जाना चाहते हैं तो उन्हें पुराने आवंटित कॉलेज से फीस और दस्तावेज वापस लौटा दिए जाएंगे।