इसके जवाब में महाराष्ट्र के नेता विपक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा जामिया विश्वविद्यालय में हुई घटना की तुलना जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh Massacre) कांड से करना देश के लिए अपनी जान देने वाले देशभक्तों और शहीदों का बहुत-बहुत बड़ा अपमान करने के समान है। उन्होंने कहा, पूरा महाराष्ट्र और भारत जानना चाहता है कि क्या उद्धव वहां (जामिया के छात्रों) के नारों से सहमत हैं? पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, इस तरह के आंदोलन को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने से अब यह पूर्ण रूप से स्पष्ट हो गया है कि व्यक्तिगत लालच के लिए शिवसेना ने किस हद तक समझौता किया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर ठाकरे ने कहा कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि कितने लोग देश में कब और कहां से प्रवेश करेंगे। उन्होंने यहां आने के बाद उनके बसने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सीएए के माध्यम से नागरिकता पाने वाले हिंदुओं और अन्य अप्रवासियों को वह कहां बसाएगी।
उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें मुस्लिमों को छोड़कर हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाने की बात कही गई है।