काउंसिल के अनुसार फार्म डी कोर्स करने वाले फार्मासिस्टों को नाम के आगे डॉक्टर लगाने का अधिकार दिया जाएगा। यह कोर्स देश में करीब दस साल से चल रहा है। प्रदेश के चार निजी विवि में यह संचालित है। हालांकि इस पाठ्यक्रम को करने के बाद फार्म डी डिग्रीधारी डॉक्टर के समकक्ष नहीं होंगे। उन्हें सिर्फ दवा की मॉनिटरिंग व निर्धारण में सहायक के तौर पर काम करने का अधिकार मिलेग। जानकारी के मुताबिक बी फार्मा कोर्स कर चुके विद्यार्थियों को सीधे फार्म डी में तृतीय वर्ष में प्रवेश दिया जाता है।
आदेश का क्या होगा असर
विद्यार्थियों का रुझान बढ़ेगा: फार्मासिस्ट क्षेत्र में बदलाव और विद्यार्थियों का रुझान बढऩे की संभावना है। प्रदेश में अभी तक सरकारी क्षेत्र में यह कोर्स नहीं है।
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: अधिक योग्य फार्मासिस्ट इस क्षेत्र में आएंगे। डॉक्टर सहायक के तौर पर फार्मासिस्ट रखने लगेंगे तो इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
दुरुपयोग ना हो
मरीजों को काउंसलिंग के लिहाज से यह व्यवस्था प्रभावी मानी जा रही है। लेकिन डॉक्टरों के साथ बैठकर ही सहायक के तौर पर काम करने के दौरान इसके दुरूपयोग की भी आशंका बनी रहेगी। ऐसे में इस व्यवस्था में फार्मेसी काउंसिल के तंत्र की निगरानी की भी बड़ी भूमिका रहेगी। प्रदेश में फार्मेसी काउंसिल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते रहे हैं। लंबे समय से फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार पद पर भी किसी के नहीं होने से पंजीकरण अटका हुआ है।
नाम के आगे डॉक्टर लगाने की अनुमति से इस क्षेत्र में युवाओं का रुझान बढ़ेगा। अधिक योग्य फार्मासिस्ट इस क्षेत्र में आएंगे। डॉक्टर अपने यहां सहायक के तौर पर फार्मासिस्ट रखेंगे तो फार्मासिस्ट क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
-प्रवीण सेन, फार्मा यूथ वेलफेयर संस्थान