पीएम मोदी ने प्राचीन भारत में देश की शिक्षा व्यवस्था तथा आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद से लेकर अम्बेडकर दीन दयाल उपाध्याय और लोहिया के शिक्षा के बारे में उनके विचारों को उद्धरित करते हुए कहा कि शिक्षा का संबंध केवल किताबी ज्ञान से नहीं बल्कि बेहतर इंसान बनने और चरित्र निर्माण के साथ-साथ सामाजिक दायित्व से भी होता है, लेकिन युग बदलने के साथ-साथ उसमें परिवर्तन भी होता है। आज समय की मांग है कि उसमें नवोन्मेष नवाचार को जोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर से ही नवाचार को जोडऩे के लिए उनकी सरकार ने देश के स्कूलों में अब तक तीन हजार अटल टैंकरिंग लैब खोले हैं। अब उनकी संख्या बढ़कर पांच हजार की जाएगी। उन्होंने कॉलेज के छात्रों को गरीबों की झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर उन्हें स्वच्छता अभियान आयुष्मान भारत जैसे सरकारी कार्यक्रमों से भी लोगों को अवगत कराने एवं उन्हें ज्ञान बांटने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्र अपने आस-पास के इलाकों में जाकर डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों की भी लोगों को जानकारी दें और न्यू इंडिया के निर्माण में भी सहयोग दें।