दिव्यांश न्यूमोथोरैक्स (Pneumothorax) नाम की गंभीर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनके पिता भारतीय सेना में हैं। दिव्यांश अपने पिता और चाचा से प्रेरित होकर सेना में शामिल होना चाहते थे। लेकिन उनके पिता ने उन्हें एक नई दिशा दिखाई और कहा कि डॉक्टर बनकर भी वो समाज सेवा कर सकते हैं। इस तरह उनका नीट में बैठने और डॉक्टर बनने का सफर शुरू हुआ।
माइनर परीक्षा में 720 में 686 अंक हासिल किए (NEET Result Success Story)
नीट यूजी की तैयारी (NEET UG Preparation) की तैयारी के लिए दिव्यांस कोटा (Kota News) आए। वहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी, जिसके बाद पता चला कि दिव्यांश को न्यूमोथोरैक्स (Divyansh Cracked NEET Who Have Pneumothorax Disease) है। उनका एक फेफड़ा फट गया था और वह एक फेफड़े से सांस ले रहे थे और उन्हें एक हफ्ते के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान जिस संस्थान में वे तैयारी कर रहे थे, वहां के शिक्षक नियमित तौर पर उनसे मिलने आते थे और उन्हें मोटिवेट करते थे।
दिव्यांश ने घर वापस आने पर माइनर एग्जाम की तैयारी पर फोकस किया और 720 में से 686 अंक प्राप्त किए। उनकी दूसरी माइनर परीक्षा के बाद स्थिति खराब हो गई और उनके पिता उन्हें दो सप्ताह के लिए चंडीगढ़ के आर्मी अस्पताल ले गए। हालांकि, यहां भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, जिस वजह से उन्हें दिल्ली ले जाया गया।
दिव्यांश ने कहा शिक्षकों के मार्गदर्शन के बिना मुमकिन नहीं था (Divyansh NEET Result)
इलाज के तीन महीने बाद दिव्यांश की हालत में सुधार हुआ और पूरी तरह से ठीक होकर कोटा आए। उन्होंने एक बार फिर से पढ़ाई शुरू की, लेकिन इस बार उन्हें डेंगू हो गया। डेंगू के कारण वो काफी दिनों तक बिस्तर पर ही रहे। हालांकि, शिक्षकों ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। साथ ही उनकी मदद की। दिव्यांश कहते हैं कि बाकी छात्र पाठ्यक्रम में काफी आगे थे, लेकिन मैंने खुद पर ध्यान केंद्रित किया और अपने शिक्षकों की बातों को फॉलो किया।