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शिक्षा

पाकिस्तान को धूल चटाने वाले वीर अब्दुल हमीद कौन थे, जिनकी कहानी NCERT की किताब में हुई है शामिल

Indian Soldier Veer Abdul Hamid: हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम 2023 के तहत, NCERT की छठी कक्षा की किताब में अब ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ और ‘वीर अब्दुल हमीद’ के बारे में पढ़ाया जाएगा। वीर अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया था।

नई दिल्लीSep 23, 2024 / 02:55 pm

Shambhavi Shivani

Indian Soldier Veer Abdul Hamid: हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम 2023 के तहत, एनसीईआरटी की छठी कक्षा की किताबों में दो बड़े बदलाव करने की घोषणा की गई। छठी कक्षा में बच्चों को ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ नाम की कविता और ‘वीर अब्दुल हमीद’ नामक अध्याय पढ़ाया जाएगा। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठने लगे कि आखिर वीर अब्दुल हमीद कौन थे, जिनके बारे में एनसीईआरटी की किताबों (NCERT Books) में पढ़ाया जाएगा। 


उत्तर प्रदेश के साधारण परिवार का लड़का (Veer Abdul Hamid)

अब्दुल हमीद (Indian Soldier Veer Abdul Hamid) पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत ही साधारण परिवार से आते थे लेकिन उन्होंने अपनी वीरता की असाधारण मिसाल कायम करते हुए भारत माता की सेवा में अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। 
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छुट्टी के बीच वापस ड्यूटी पर आना पड़ा 

कहा जाता है कि जब 1965 में भारत पाकिस्तान के युद्ध शुरू होने के आसार बन रहे थे तब अब्दुल (Indian Soldier Veer Abdul) अपने घर गए थे, लेकिन उन्हें छुट्टी के बीच से वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला। उस दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें खूब रोका, लेकिन वे रुके नहीं। उन्होंने अपने घर वालों से विदा लेते हुए मुस्कुरा कहा था कि देश के लिए उन्हें जाना ही होगा। 
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कई पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया (Indian Soldier)

भारतीय सैनिक अब्दुल हमीद (Veer Abdul Hamid) ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया था। 1965 के युद्ध के दौरान, अब्दुल हमीद ने खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ते हुए अद्भुत साहस का प्रदर्शन किया। अपनी जीप से उन्होंने अकेले ही कई पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया। ये टैंक पाकिस्तानी सेना के लिए काफी अहम थे और अमेरिका से खरीदे गए थे।
उनकी शौर्य गाथा आज भी देशवासियों को प्रेरित करती है। उन्हें भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र मरणोपरांत प्रदान किया गया था। 26 जनवरी, 1966 को उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से यह पुरस्कार प्राप्त किया था। 

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