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मौलाना अबुल कमाल आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 सऊदी अरब में हुआ था। देश के पहले शिक्षा मंत्री और शिक्षा के क्षेत्र में कई बेहतर काम करने के कारण उनके सम्मान में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। मौलाना अबुल कमाल आजाद की बात करें तो उन्होंने अल अजहर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। साल 2008 में सबसे पहली बार 11 नवंबर 2008 को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था। उसके बाद हर साल इसे मनाया जाता है।
Maulana Abul Kalam Azad : सऊदी में हुआ था उनका जन्म
मौलाना अबुल कमाल आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 सऊदी अरब में हुआ था। देश के पहले शिक्षा मंत्री और शिक्षा के क्षेत्र में कई बेहतर काम करने के कारण उनके सम्मान में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। मौलाना अबुल कमाल आजाद की बात करें तो उन्होंने अल अजहर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। साल 2008 में सबसे पहली बार 11 नवंबर 2008 को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था। उसके बाद हर साल इसे मनाया जाता है।
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मौलाना अबुल कमाल आजाद 10 साल तक देश के शिक्षा मंत्री रहें। देश के कई बड़े शिक्षण संस्थान को स्थापित करने में उनका अहम योगदान था। IIT, UGC जैसे संस्थान को स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी। दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया(Jamia Millia Islamia) के स्थापना में भी उनका योगदान था।
National Education Day : कई उपलब्धि दर्ज है उनके नाम
मौलाना अबुल कमाल आजाद 10 साल तक देश के शिक्षा मंत्री रहें। देश के कई बड़े शिक्षण संस्थान को स्थापित करने में उनका अहम योगदान था। IIT, UGC जैसे संस्थान को स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी। दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया(Jamia Millia Islamia) के स्थापना में भी उनका योगदान था।
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शिक्षा मंत्री बनने के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना उनका लक्ष्य था। ग्रामीण गरीबों और लड़कियों के पढ़ाई के लिए उन्होंने काम किया। साथ ही साक्षरता को बढ़ावा देना, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना, मौलाना अबुल कमाल आजाद के प्राथमिकताओं में से एक थे।
National Education Day In India : मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना थी प्राथमिकता
शिक्षा मंत्री बनने के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना उनका लक्ष्य था। ग्रामीण गरीबों और लड़कियों के पढ़ाई के लिए उन्होंने काम किया। साथ ही साक्षरता को बढ़ावा देना, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना, मौलाना अबुल कमाल आजाद के प्राथमिकताओं में से एक थे।