कोर्ट धनंजय कुलकर्णी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देख कक्षा 10वीं (Maharashtra Board 10th Exam 2021) की माध्यमिक विद्यालय सर्टिफिकेट (SSC) परीक्षा (Maharashtra SSC Exam 2021) को रद्द करने के मामले में सरकार से सवाल उठाए गए थे।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट करने के फैसले पर भी सवाल उठाया है। जिस पर न्यायमूर्ति कठवाला ने कहा, “शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाया जा रहा है।” अदालत ने कहा, “क्या आप बिना परीक्षा (Maharashtra SSC Exam 2021) के छात्रों को प्रमोट करने के बारे में सोच रहे हैं? यदि हां, तो भगवान इस राज्य की शिक्षा प्रणाली (Education System) को बचाएं। यह स्कूली शिक्षा का अंतिम वर्ष है। 10वीं कक्षा (Maharashtra SSC Exam 2021) एक महत्वपूर्ण वर्ष है और इसलिए परीक्षा भी महत्वपूर्ण है।” सरकार महामारी के नाम पर छात्रों का करियर और भविष्य खराब नहीं कर सकती।”
हाई कोर्ट (High Court) ने महाराष्ट्र सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार ने कक्षा 10वीं की परीक्षा (Maharashtra SSC Exam 2021) को रद्द करने का फैसला क्यों लिया, और कक्षा 12वीं के लिए इस तरह का फैसला क्यों किया? अदालत ने इसे भेदभाव बताया। हाई कोर्ट ने कहा, “छात्र, जो हमारे देश और राज्य का भविष्य हैं, उन्हें इस तरह से हर साल बिना परीक्षा दिए पदोन्नत नहीं किया जा सकता है। हमें उनके भविष्य की चिंता है।”