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कामिल-फाजिल कोर्स की बात करें तो मदरसा बोर्ड से मिलने वाली कामिल डिग्री को ग्रेजुएन (UG) के बराबर माना जाता है। वहीं फाजिल डिग्री को पोस्ट ग्रेजुएट (PG) डिग्री के बराबर मान्यता प्राप्त है। इस संबंध में कोर्ट ने आदेश दिया कि मदरसा बोर्ड द्वारा इन डिग्रियों का प्रदान किया जाना असंवैधानिक है।
क्या होता है कामिल-फाजिल कोर्स?(What is Kamil Fazil course?)
कामिल-फाजिल कोर्स की बात करें तो मदरसा बोर्ड से मिलने वाली कामिल डिग्री को ग्रेजुएन (UG) के बराबर माना जाता है। वहीं फाजिल डिग्री को पोस्ट ग्रेजुएट (PG) डिग्री के बराबर मान्यता प्राप्त है। इस संबंध में कोर्ट ने आदेश दिया कि मदरसा बोर्ड द्वारा इन डिग्रियों का प्रदान किया जाना असंवैधानिक है।
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उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करते हुए इन कोर्सों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि अब इन कोर्सों के परीक्षा फॉर्म नहीं भरवाए जाएंगे। जो छात्र पहले ही फॉर्म भर चुके हैं, उनकी फीस वापस कर दी जाएगी। शासन स्तर पर इस संबंध में काम किया जा रहा है और बोर्ड के एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा पालन
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करते हुए इन कोर्सों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि अब इन कोर्सों के परीक्षा फॉर्म नहीं भरवाए जाएंगे। जो छात्र पहले ही फॉर्म भर चुके हैं, उनकी फीस वापस कर दी जाएगी। शासन स्तर पर इस संबंध में काम किया जा रहा है और बोर्ड के एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है।
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उत्तराखंड में कुल 415 मदरसे पंजीकृत हैं, जहां 46,000 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। इन मदरसों में शिक्षण स्तर को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। पहला है तहतानिया, जिसका मतलब होता है, प्राइमरी स्तर। फौकानिया होता है जूनियर हाई स्कूल स्तर और आलिया होता है हायर सेकेंडरी स्तर।
Madrasa: उत्तराखंड में कुल 415 मदरसे रजिस्टर्ड हैं
उत्तराखंड में कुल 415 मदरसे पंजीकृत हैं, जहां 46,000 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। इन मदरसों में शिक्षण स्तर को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। पहला है तहतानिया, जिसका मतलब होता है, प्राइमरी स्तर। फौकानिया होता है जूनियर हाई स्कूल स्तर और आलिया होता है हायर सेकेंडरी स्तर।
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बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई जाएगी। बोर्ड उन छात्रों के लिए विकल्प तलाशेगा, जो पहले से इन कोर्सों में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा, कामिल और फाजिल कोर्स को किसी विश्वविद्यालय से पंजीकृत करने पर भी काम किया जाएगा।
Madrasas of Uttarakhand: बोर्ड ने भी रखा अपना मत
बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई जाएगी। बोर्ड उन छात्रों के लिए विकल्प तलाशेगा, जो पहले से इन कोर्सों में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा, कामिल और फाजिल कोर्स को किसी विश्वविद्यालय से पंजीकृत करने पर भी काम किया जाएगा।